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पेगासस मामला: मोदी सरकार को झटका, अपनी समिति से आरोपों की जांच कराएगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्‍ली सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की जांच के लिए स्‍वतंत्र समिति की गठन किया है। कोर्ट ने केंद्र सरकार की समिति को नकार दिया और अपनी एक्‍सपर्ट कमिटी गठित कर दी। बेंच ने कहा क‍ि यह न्‍याय के लिए सही नहीं होगा। कोर्ट ने जिस स्‍वतंत्र समिति का गठन किया है, उसमें सरकारी तंत्र नहीं है। बुधवार को अदालत ने कहा कि उसने तीन नामी विशेषज्ञों को कमिटी का सदस्‍य बनाया है। उनकी मदद को साइबर सिक्‍योरिटी से जुड़े तीन और एक्‍सपर्ट्स भी उपलब्‍ध रहेंगे। अदालत ने कमिटी से सारे आरोपों की विस्‍तार से जांच करके रिपोर्ट सौंपने को कहा है। सुनवाई की अगली तारीख 8 हफ्ते बाद तय की गई है। सुप्रीम कोर्ट की कमिटी में कौन-कौन है?
  • सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आरवी रवींद्रन
  • आलोक जोशी, R&AW के पूर्व प्रमुख
  • संदीप ओबेरॉय, टॉटा कंसल्‍टेंसी में साइबर सिक्‍योरिटी के प्रमुख
एक टेक्निकल कमिटी भी है जिसमें तीन साइबर एक्‍सपर्ट शामिल होंगे।
  • डॉक्टर नवीन कुमार चौधरी, गांधीनगर की नैशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी में प्रफेसर
  • डॉक्टर प्रभाहरण पी, केरल के अम्रिता विश्व विद्यापीठ में प्रफेसर
  • डॉक्टर अश्विन अनिल गुमस्ते, आईआईटी बॉम्बे
केंद्रीय कमिटी को क्‍यों नकारा?शीर्ष अदालत ने निजता के अधिकार के उल्लंघन के आरोप को अहम मामला माना है। कोर्ट ने कहा कि मामले में 'न्याय होना जरूरी है और साथ में न्याय होते दिखना भी जरूरी है।' अदालत के अनुसार, किसी सरकारी एजेंसी या निजी संस्‍था पर निर्भर रहने के बजाय, कोई पूर्वाग्रह न रखने वाले, स्‍वतंत्र और सक्षम विशेषज्ञों को ढूंढ़ना एक बड़ी चुनौती थी। अदालत ने कहा कि उन्‍होंने बायोडेटा और स्‍वतंत्र रूप से जुटाई गई जानकारी के आधार पर कमिटी बनाई है। कोर्ट ने यह भी कहा कि कुछ कैंडिडेट्स ने अदालत का प्रस्‍ताव ठुकरा दिया और कुछ के हितों का टकराव हो रहा था। अदालत ने कहा कि उसने उपलब्‍ध लोगों में सबसे नामी विशेषज्ञों को कमिटी का हिस्‍सा बनाया है। 'निजता के अधिकार की रक्षा जरूरी'कोर्ट ने कहा कि कुछ याचिकाकर्ता पेगासस से सीधे पीड़‍ित हैं। कोर्ट के अनुसार, हम सूचना युग में रहते हैं और हमें यह समझना होगा कि टेक्‍नोलॉजी अहम है, मगर निजता के अधिकार की रक्षा करना भी जरूरी है, न सिर्फ पत्रकारों, बल्कि सभी नागरिकों के लिए। अदालत ने कहा कि शुरुआत में याचिकाएं अखबार की रिपोर्ट्स के आधार पर दायर की गई थीं, तब वह संतुष्‍ट नहीं थी।
Source navbharattimes

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