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किसानों की लाशें गिरवाकर नेता बन जाते हैं कुछ लोग, लखीमपुर में भी यही हुआ: किसान संघ

नई दिल्ली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (BKS) के किसान संगठन ने कहा कि उत्तर प्रदेश के लखीमपुर-खीरी में जो हिंसा हुई उसके लिए किसानों की आड़ में शुरू से ही राजनीति करने वाले नेता जिम्मेदार हैं। किसान संघ ने लखीमपुर में हुई हिंसा की तुलना मध्यप्रदेश के मंदसौर में चार साल पहले हुई घटना से की। तब किसानों पर गोलियां चली थीं और पांच किसानों की मौत हो गई थी। बीकेएस के राष्ट्रीय सचिव ने एनबीटी के साथ बातचीत में कहा कि हम लोगों को पहले दिन से अंदेशा था और हमने इस बारे में आगाह भी किया था कि ये हिंसक और राजनीतिक आंदोलन होने वाला है। साफ दिख रहा था कि राजनीतिक उद्देश्य से ये हिंसा की तरफ जाने वाले हैं। किसान संघ के नेता ने कहा कि किसान मारा गया, नुकसान किसी नेता का नहीं हुआ। किसान मरता है और फिर मांग भी बदल जाती है इसलिए हिंसक और राजनीतिक आंदोलन से कभी फायदा नहीं होता। बीकेएस सचिव ने लखीमपुर की घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि हम हिंसा की निंदा करते हैं, जो भी हिंसा कर रहा है उसकी निंदा करते हैं, किसान के नाम पर जो हिंसक राजनीतिक आंदोलन को बढ़ावा देते हैं, हम उनकी भी निंदा करते हैं। यह पूछने पर कि क्या आपको यह लगता है कि आंदोलन में किसान नहीं बैठा है? किसान संघ नेता ने कहा कि किसान बैठा है वहां, किसान नेता भी हैं, पर आंदोलन राजनीतिक है, यह किसान आंदोलन नहीं है। उन्होंने कहा कि जो हिंसा हुई है हम उसकी जांच की मांग और दोषियों पर कार्रवाई की मांग करते हैं। किसान संघ नेता ने कहा कि जो लोग आंदोलन कर रहे हैं ये लोग लगातार भड़का भी रहे थे और आखिर में हिंसा में किसान मारे गए। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के मंदसौर में भी यही हुआ था। वहां किसान मारे गए, नेता घूम रहे हैं, कोई पाटीदार नेता बन गया, कोई उस आधार पर मंत्री भी बन गया, यहां भी वही होने वाला है। किसान संघ के नेता ने कहा कि कुछ लोग नेता बन जाते हैं और मारा किसान जाता है। इसलिए इस तरह के हिंसक तरीके के साथ हम नहीं हैं।
Source navbharattimes

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