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हाइपरसोनिक हथियार बनाने वाले एलिट क्लब में भारत भी शामिल, अमेरिकी कांग्रेस की रिपोर्ट में तरह-तरह के दावे

नई दिल्ली चीन से मिल रही चुनौतियों के बीच भारत अपनी युद्ध क्षमता तेजी से बढ़ा रहा है। चीन ने भविष्य में पूर्वी लद्दाख की अतिक्रमण जैसी घटना दुहराने की सोची भी तो उसे उसका खामियाजा भुगतना पड़े, यह सुनिश्चित करने के लिए विदेशों से सैन्य साजो-सामान की खरीद से लेकर देश में इनके उत्पादन तक की गतिविधियां तेज हो चुकी हैं। साथ ही, भारत सैन्य आधुनिकीकरण को गति देने के लिए अत्याधुनिक हथियारों के निर्माण और रक्षा प्रणालियों के विकास में तेजी से कदम बढ़ा रहा है। इसी सिलसिले में हाइपरसोनिक हथियार बनाने का काम भी चल रहा है। ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान वाली लिस्ट में भारत अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र रिपोर्ट में भी कहा गया है कि भारत उन कुछ चुनिंदा देशों में शामिल है, जो हाइपरसोनिक हथियार विकसित कर रहे हैं। स्वतंत्र 'कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस' (सीआरएस) ने इस सप्ताह अपनी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका, रूस और चीन के सबसे आधुनिक हाइपरसोनिक हथियार कार्यक्रम हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया, भारत, फ्रांस, जर्मनी और जापान समेत कुछ अन्य देश भी हाइपरसोनिक वेपन टेक्नॉलजी विकसित कर रहे हैं। लेटलतीफी का शिकार हुआ भारत का कार्यक्रम सीआरएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने अमेरिका और भारत ने रूस के साथ इस संबंध में गठजोड़ किया है। सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने मैक 7 हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस 2 को विकसित के लिए रूस के साथ गठजोड़ किया है। रिपोर्ट में कहा गया है, 'हालांकि ब्रह्मोस 2 को शुरुआत में 2017 में तैयार करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन समाचार रिपोर्ट संकेत देती है कि इस कार्यक्रम में काफी देर हो गई और अब इसके 2025 और 2028 के बीच प्रारंभिक परिचालन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।' सीआरएस ने कहा, 'ऐसा बताया जा रहा है कि भारत अपने हाइपरसोनिक प्रौद्योगिकी प्रदर्शक वाहन कार्यक्रम (Hypersonic Technology Demonstrator Vehicle Program) के तहत एक स्वदेशी, दोहरे रूप से सक्षम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल भी विकसित कर रहा है और उसने जून 2019 और सितंबर 2020 के बीच मैक 6 स्क्रैमजेट का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था।' अमेरिकी सांसदों के लिए इस विषय के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की गई संसद की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत लगभग 12 हाइपरसोनिक पवन सुरंगों (Wind Tunnels) का संचालन करता है और 13 मैक तक की गति का परीक्षण करने में सक्षम है। चीन ने अमेरिकियों को किया हैरान अमेरिकी संसद की यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब हाल में एक मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि चीन ने एक परमाणु सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल का प्रक्षेपण किया है, जिसने अपने लक्ष्य से चूकने से पहले पूरी पृथ्वी का चक्कर लगाया था। चीन ने अपने इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को हैरान कर दिया है। समाचार पत्र 'फाइनैंशल टाइम्स' की खबर के मुताबिक, चीन ने अगस्त में एक परमाणु-सक्षम मिसाइल का परीक्षण किया था, जिसने अपने लक्ष्य की ओर तेजी के साथ बढ़ने से पहले पृथ्वी का चक्कर लगाया। इसमें कहा गया कि इस परीक्षण से अमेरिकी खुफिया एजेंसियां भी हैरान हो गईं। हालांकि चीन ने कहा कि उसने एक हाइपरसोनिक 'यान' (व्हीकल) का परीक्षण किया है, न कि परमाणु-सक्षम हाइपरसोनिक 'मिसाइल' का। प्रमुख ब्रिटिश समाचार पत्र ने अपनी खबर में दावा किया था कि चीन ने उन्नत अंतरिक्ष क्षमता वाली एक हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है और यह लगभग 24 मील की दूरी के अंतर से अपने लक्ष्य को भेदने में चूक गई। सीआरएस के अनुसार, 2007 से हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी को विकसित करने के लिए अमेरिका ने 'हाइपरसोनिक इंटरनैशनल फ्लाइट रिसर्च एक्सपेरिमेंटेशन' (हाईफायर) कार्यक्रम को लेकर ऑस्ट्रेलिया के साथ गठजोड़ किया है। भारत की तरह, फ्रांस ने भी हाइपरसोनिक टेक्नॉलजी के विकास के लिए रूस के साथ गठजोड़ और कॉन्ट्रैक्ट किया है तथा जापान 'हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल' और 'हाइपर वेलोसिटी ग्लाइडिंग प्रोजेक्टाइल' विकसित कर रहा है। (भाषा से इनपुट के साथ)
Source navbharattimes

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