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1991 की वो सुबह: कांग्रेस सोती रही, राजभवन पहुंचकर मुलायम खेल कर गए

नई दिल्‍ली राजनीति में टाइमिंग का खास महत्व होता है। चाल लाख सही हो लेकिन अगर टाइमिंग सही नहीं है तो फिर उसके मायने नहीं रह जाते हैं। यूपी को लेकर 1991 में कांग्रेस से भी ऐसी ही चूक हुई थी। उसने उस वक्त जो फैसला किया था, वह रणनीतिक तौर पर सही था लेकिन वह ‘चाल’ चलने के लिए दिन होने का इंतजार करती रह गई। अलसुबह ही राजभवन पहुंच कर अपनी सरकार का इस्तीफा सौंपकर कार्यवाहक मुख्यमंत्री बन गए और कांग्रेस की ‘चाल’ धरी की धरी रह गई। कांग्रेस का वह फैसला लीक कैसे हुआ, यह भी एक पहेली है। कहा तो यह जाता है कि उस वक्त के एक बड़े कांग्रेस नेता ने मुलायम सिंह यादव को देर रात जगा कर यह खबर ‘लीक’ की थी कि कल आपकी सरकार गिरा दी जाएगी। मुलायम सिंह यादव के लिए इतनी जानकारी पर्याप्त थी। 'हैलो, राज्‍यपाल जी सो रहे हैं क्‍या?'दिल्ली में तो कांग्रेस के बड़े नेता फैसला करने के बाद अपने-अपने बंगलों में सोने के लिए चले गए क्योंकि उन्हें लगा कि अब जो कुछ होगा, अगले दिन ही होगा। लेकिन लखनऊ में मुलायम सिंह यादव ने अपने-अपने बंगलों में सो रहे सभी मंत्रियों को जगा कर ‘बाई सर्कुलेशन’ कैबिनेट से इस प्रस्ताव की मंजूरी ले ली कि मंत्रिपरिषद विधानसभा भंग कर नए विधानसभा चुनाव की सिफारिश करती है। इसके बाद उन्होंने अपनी ‘किचन कैबिनेट’ के नेताओं को अपने घर बुलाकर तय किया कि जितनी जल्दी हो सके राजभवन चल देना चाहिए और कांग्रेस कैंप को इसकी भनक नहीं लगनी चाहिए। मुलायम सिंह यादव ने राजभवन को फोन लगवा कर यह सुनिश्चित किया कि राज्यपाल इस वक्त जाग रहे हैं या सो रहे हैं। जब उन्हें बताया गया कि वह अभी सो रहे हैं तो उन्होंने अपने अफसरों के जरिए यह पता करने की कोशिश की वह सोए कब थे और आखिरी फोन कब और किसका आया था? उनके सोने के टाइम और बाहर से आने वाली कॉल्स डिटेल के आधार पर मुलायम सिंह यादव को यह यकीन हो गया कि दिल्ली में उनकी सरकार को लेकर होने वाली किसी गतिविधि से राज्यपाल वाकिफ नहीं हैं। उस वक्त बी सत्यनारायण रेड्डी यूपी के राज्यपाल थे। फिर राज्यपाल को जगाया गयामुलायम सिंह यादव और ज्यादा इंतजार करने के मूड में नहीं थे, हालांकि वह अपने मंत्रिमंडल सहयोगियों की इस सलाह पर राजी होते दिखे कि पौ तो फटने दीजिए। इसके बाद फिर राजभवन फोन लगाया गया। लेकिन मुलायम सिंह यादव को यह सुनने को मिला कि अभी महामहिम सो ही रहे हैं तो उनका धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने अफसरों को सख्त लहजे में हिदायत दी कि राजभवन के अफसरों को बताया जाए कि मुख्यमंत्री अपनी कैबिनेट के साथ बेहद आवश्यक कार्य से अभी के अभी मिलना चाहते हैं। राजभवन के अफसरों ने राज्यपाल को जगाया और उन्हें मुख्यमंत्री आवास से आ रहे फोनों के बारे में जानकारी दी। राज्यपाल भी चकित थे कि ऐसी क्या इमरजेंसी हो गई है? उन्होंने अपने स्टाफ से कहा कि मुलायम सिंह यादव को सूचित करिए कि वह कभी भी आ सकते हैं। मुलायम सिंह यादव अपनी सरकार के वरिष्ठ सहयोगियों के साथ पहुंचे और अपनी सरकार का इस्तीफा सौंप दिया। राज्यपाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार करते हुए उन्हें अगली व्यवस्था तक कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहने का आदेश कर दिया। अगर मुलायम सिंह यादव के इस्तीफा देने से पहले कांग्रेस मुलायम सरकार से समर्थन वापसी का एलान कर देती तो वह सरकार अल्पमत में आ जाती। ऐसी स्थिति में सरकार बर्खास्त हो जाती। बर्खास्तगी के बाद राष्ट्रपति शासन लगता। कांग्रेस की रणनीति यही थी कि वह मुलायम सरकार से समर्थन वापसी का ऐलान करेगी, सरकार गिरेगी और अगले छह महीने राज्य में राष्ट्रपति शासन रहेगा। मध्यावधि चुनाव से पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन उसके लिए ज्यादा मुफीद होता। लेकिन रात को लिए गए फैसले को अंजाम तक पहुंचाने के लिए वह अगले दिन का इंतजार करती रही। मुलायम सिंह यादव ने उसके लिए अगला दिन आने ही नहीं दिया। यह स्थिति बनी क्यों थी?दरअसल 1989 में केंद्र के साथ-साथ यूपी से भी कांग्रेस सत्ता से बाहर हो गई थी। केंद्र में वीपी सिंह के नेतृत्व में जनता दल की सरकार बनी थी और यूपी में मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में। करीब एक साल के अंदर ही अंदर वीपी सिंह की सरकार गिर गई, साथ ही जनता दल भी टूट गया था। केंद्र में चंद्रशेखर कांग्रेस के समर्थन से प्रधानमंत्री हुए थे। इधर यूपी में मुलायम सिंह यादव भी वीपी सिंह का पाला छोड़कर चंद्रशेखर के साथ हो लिए थे। कांग्रेस ने यूपी में भी मुलायम सिंह यादव सरकार को गिरने से बचा लिया था। उस समय विधानसभा में कांग्रेस के 94 विधायक थे लेकिन चंद्रशेखर की सरकार चार महीने ही चल पाई थी कि कांग्रेस के साथ उनका टकराव हो गया और उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इधर कांग्रेस उधेड़बुन में थी कि यूपी में वह मुलायम सिंह यादव सरकार को समर्थन जारी रखे या समर्थन वापस लेकर सरकार गिरा दे? पार्टी के अधिकांश नेता इस राय के थे कि मुलायम सिंह यादव सरकार को समर्थन वाया चंद्रशेखर दिया गया था और अब जब चंद्रशेखर से रिश्ता खत्म हो गया तो मुलायम सिंह यादव सरकार को समर्थन जारी रखने से कोई राजनीतिक लाभ नहीं होने वाला। कांग्रेस यूपी में अपनी वापसी की गुंजाइश देख रही थी। इसी वजह से एक रात कांग्रेस आलाकमान के घर हुई बैठक में मुलायम सरकार से समर्थन वापसी का फैसला हुआ। पर उसको अमली जामा पहनाने में देर हो गई।
Source navbharattimes

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