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जम्मू-कश्मीर साथ रखना है तो... धमकी वाली भाषा क्यों इस्तेमाल कर रहीं महबूबा?

नई दिल्ली 'अगर जम्मू-कश्मीर को अपने साथ रखना है तो 370, 35ए और कश्मीर का मसला हल करने के साथ रखना होगा। डंडे, बंदूक, लाशों को दबाने के बलबूते पर कश्मीर को साथ नहीं रख सकते। बंदूक के बलबूते पर अमेरिका भी अफगानिस्तान पर राज नहीं कर सका। हम गोडसे के हिन्दुस्तान के साथ नहीं रह सकते हमें गांधी, नेहरू का हिन्दुस्तान चाहिए।' ये भाषा है देश के एक महत्वपूर्ण सूबे की मुख्यमंत्री रह चुकीं महबूबा मुफ्ती की। क्या यह भाषा लोकतंत्र की भाषा है। पहली नजर तो यह बिल्कुल धमकी लगती है। अब सवाल है कि क्यों महबूबा इस तरह की भाषा का प्रयोग कर रही हैं। बौखलाहट है कि अप्रासंगिक न हो जाएंजम्मू कश्मीर से 370 खत्म होने के साथ ही पीडीपी हो या फिर नेशनल कॉन्फ्रेंस इन पार्टियों की सियासी दुकान बंद हो गई। ऐसे में महबूबा मुफ्ती घाटी में अपनी पार्टी की प्रासंगिकता को बनाए रखने के लिए अक्सर पाकिस्तान राग अलापती रही हैं। महबूबा यह आरोप भी लगा चुकी हैं कि केंद्र की तरफ से नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी को तोड़ने की कोशिशें हो रही हैं। दरअसल उन्हें डर है कि नए कश्मीर में वो और उनकी पार्टी अप्रासंगिक ना हो जाए। वह अपनी पार्टी के सदस्यों को डराने, धमकाने और लालच दिए जाने का बी आरोप लगा चुकी हैं। महबूबा का कहना है कि यदि आप अफगानिस्तान और चीन से बातचीत कर सकते हैं तो पाकिस्तान से बातचीत क्यों नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि जब मैं कहती हूं कि पाकिस्तान से बात करो तो आप तालिबान से बात करते हैं। उन्होंने कहा कि वो लोग देश की जमीन पर नाजायज कब्जा करने वाले चीन से भी बात कर रहे हैं। सुरक्षा बलों पर की तैनाती पर सवालमहबूबा मुफ्ती अक्सर देश की रक्षा में जुटे सुरक्षा बलों के ऐक्शन पर भी सवाल उठाती रही हैं। तीन दिन पहले ही महबूबा ने हैदरपोरा एनकाउंटर पर सवाल उठाते हुए एलजी मनोज सिन्हा को माफी मांगने को कहा था। महबूबा मुफ्ती ने सरकार की आलोचना करते हुए कहा था कि सरकार आतंकवाद विरोधी अभियानों के नाम पर कश्मीर के आम लोगों की जान ले रही है। महबूबा राज्य में सुरक्षा बलों की तैनाती पर भी सवाल उठा चुकी हैं। महबूबा ने इस महीने के शुरुआत में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अतिरिक्त 5,000 जवानों की तैनाती को लेकर कहा था कि राज्य में हालात ठीक नहीं हैं। अनुच्छेद 370 खत्म किए जाने के बाद आतंकवाद में कमी28 जुलाई को राज्यसभा में दिए अपने एक बयान में गृह राज्य मंत्री ने बताया कि जम्मू कश्मीर में वर्ष 2019 की तुलना में वर्ष 2020 में आतंकी हिंसा की घटनाओं में 59% की कमी आई। वहीं वर्ष 2020 में जून तक हुई आतंकी घटनाओं की तुलना में, वर्ष 2021 में जून तक आतंकी हिंसा में 32 % की कमी आई है। राज्य में पत्थारबाजी की घटनाओं में भी कमी आई है। इसके अलावा अलगाववादी भी पूरी तरह से अलग-थलग पड़ गए हैं। केंद्र शासन में जम्मू-कश्मीर का हो रहा विकासजम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश घोषित किए जाने के बाद से लगातार विकास की परियोजनाएं लागू हो रही हैं। गृहमंत्री अमित शाह के अनुसार नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनते ही जम्मू-कश्मीर के विकास के लिए 55,000 करोड़ रुपये का पैकेज दिया था। आज 55,000 करोड़ रुपये के पैकेज में से 33,000 करोड़ रुपये खर्च हो चुका है। इतना ही नहीं राज्य में विकास की 21 योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं। जम्मू कश्मीर में 2022 तक 50 हजार करोड़ रुपये का निवेश पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें से विभिन्न औद्योगिक क्षेत्र के लिए 25 हजार करोड़ रुपये के प्रस्ताव आ चुका है। जापान, यूएस और दुबई जैसे देशों ने जम्मू कश्मीर में निवेश के लिए इच्छा जताई है। 'सब्र का बांध टूटा तो आप मिट जाओगे'इस साल अगस्त में महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर की तुलना अफगानिस्तान से की थी। महबूबा ने कहा था कि भारत अपने पड़ोसी अफगानिस्तान को देखे, जहां से अमेरिका को अपनी सेना बुलानी पड़ी है। अमेरिका बोरिया-बिस्तर बांधकर वापस जाने को मजबूर हुआ है। केंद्र सरकार को भी जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत करनी चाहिए। महबूबा ने कहा था कि हमारे बर्दाश्त का बांध टूट गया तो आप नहीं रहोगे, मिट जाओगे। भारत को चीन के CPEC का हिस्सा होना चाहिएपिछले साल दिसंबर में महबूबा ने चीन के पक्ष में बयान दिया था। महबूबा ने कहा था कि भारत को चीन के महत्वाकांक्षी सीपेक परियोजना का हिस्सा होना चाहिए। महबूबा का कहना था कि हमें सीपेक (CPEC) का हिस्सा होना चाहिए, क्यों नहीं? जम्मू-कश्मीर 1947 से पहले व्यापार क्षेत्र का हिस्सा था, हमारे सभी रास्ते बंद कर दिए गए हैं। 'कोई हमारे मुल्क की गोली से मरे वो ठीक'महबूबा मुफ्ती ने इस साल अक्टूबर में कहा था कि हम आतंकवादियों की गोलियों से मरने वालों के परिजनों से मिलते हैं। हाल ही में सीआरपीएफ ने गूजर समुदाय के एक व्यक्ति की गोली मारकर हत्या कर दी थी। हम उसके परिवार से मिलने गए थे लेकिन घर में ताला लगा था। ये कैसा सिस्टम है इनका, कोई हमारे मुल्क की गोली से मारे वो ठीक है, मिलिटेंट की गोली से मरे वो गलत। युवाओं के पास हथियार उठाने के अलावा विकल्प नहींमहबूबा मुफ्ती ने पिछले साल नवंबर में कहा था कि युवाओं के पास नौकरियां नहीं हैं, इसलिए उनके पास हथियार उठाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। महबूबा मुफ्ती ने कहा हमारा झंडा हमसे छीन लिया गया और बाहर के लोगो को यहां बसाया जा रहा है, कश्मीरी पंडितों को क्यों नहीं बसाया। धारा 370 खत्म करके जम्मू-कश्मीर को बेचा गया, हमारी नौकरियां बेची जा रही है।
Source navbharattimes

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