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बोड़ाकी अब ग्रेटर नोएडा रेलवे स्टेशनः बिहार-पूर्वी यूपी के लिए ट्रेंनें, कईं राज्यों के लिए बसें, जानें सबकुछ

ग्रेटर नोएडा दिल्ली-एनसीआर को जल्द ही एक नया ट्रांसपोर्ट हब मिलने जा रहा है जो शुरू होने के बाद सबसे व्यस्त ट्रांसपोर्ट हब होगा। यहां बात हो रही है ग्रेटर नोएडा के बोड़ाकी गांव में बन रहे मल्टिमॉडल ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक हब की। इनमें आधुनिक रेलवे टर्मिनल, इंटर स्टेट बस टर्मिनस (ISBT) और मेट्रो कनेक्टिविटी शामिल हैं। जल्द ही बोड़ाकी रेलवे स्टेशन ग्रेटर नोएडा रेलवे स्टेशन के नाम से जाना जाएगा जहां से पूर्वी यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल के लिए ट्रेनें मिलेंगी। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने इससे जुड़ा प्रस्ताव रेलवे को भेज दिया है। आइए, जानते हैं ग्रेटर नोएडा में बनने वाले इस मल्टिमॉडल ट्रांसपोर्ट हब की क्या-क्या खासियत होगी। आनंद विहार, नई दिल्ली से चलने वाले 16 ट्रेनें बोड़ाकी से चलेंगी बोड़ाकी के पास बन रहे मल्टिमॉडल ट्रांसपोर्ट हब और लॉजिस्टिक हब के लिए नई रेलवे लाइन बनाने को रेल मंत्रालय राजी हो गया है। आनंद विहार और नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर दबाव कम करने के लिए वहां से चलने वाली 16 ट्रेनों को भविष्य में बोड़ाकी से चलाने की योजना है। इससे ग्रेटर नोएडा और उसके आसपास रहने वाले लोगों को पूर्वी यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल आदि के लिए ट्रेनें यहीं से मिल सकेंगी। इसके लिए उन्हें आनंद विहार जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। 413 एकड़ में फैला होगा मल्टिमॉडल ट्रांसपोर्ट हब बोकाड़ी में ट्रांसपोर्ट हब को इंटिग्रेटेड इंडस्ट्रियल टाउनशिप ग्रेटर नोएडा लिमिटेड (IIRGNL) बना रही है। यह मल्टिमॉडल ट्रांसपोर्ट हब बोड़ाकी गांव में 412.7 एकड़ जमीन में बन रहा है। इसमें रेलवे टर्मिनस, मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम स्टेशन और एक आईएसबीटी का निर्माण हो रहा है। इन स्टेशनों और बस टर्मिनल को इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि लोग आसानी से अपने ट्रांसपोर्ट के साधन को बदल सकते हैं। यानी कोई मेट्रो से जा रहा है तो वह आसानी से बस या ट्रेन पकड़ सकता है या फिर कोई बस या ट्रेन से आ रहा है तो आसानी से मेट्रो या ट्रेन/बस पकड़ सकता है। इसके अलावा यहां स्काईवॉक्स, वॉकवेज, पार्किंग फैसिलिटी का निर्माण होगा। साथ ही इंडस्ट्रियल और कॉमर्शियल ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा। कब तक पूरी तरह तैयार होगा? बोड़ाकी में मल्टिमॉडल ट्रांसपोर्ट और लॉजिस्टिक हब को पूरी तरह तैयार होने में 5 साल लगेंगे। तैयार होने के बाद यह दिल्ली-एनसीआर से सबसे व्यस्त ट्रांसपोर्ट हब में से होगा। पूर्वी यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के उन लोगों के लिए यह किसी सौगात से कम नहीं होगा जो जेवर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद ट्रेन से अपने घर जाना चाहते होंगे। लॉजिस्टिक हब से बढ़ेंगी औद्योगिक और व्यावसायिक गतिविधियां बोकाड़ी के पास 8 नए इंडस्ट्रियल सेक्टर भी बनाए जा रहे हैं। इनका नाम ईकोटेक 7. 8, 9, 12A, 16, 19, 19A और 21 के नाम से जाने जाएंगे। इंटिग्रेटेड टाउनशिप को 747.5 एकड़ में विकसित किया जा रहा है, जिसके तहत ट्रांसपोर्ट हब और लॉजिस्टिक हब भी शामिल हैं। दरअसल, 1483 किलोमीटर लंबे दिल्ली-मुंबई डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का मकसद दिल्ली और मुंबई के बीच कई इंडस्ट्रियल हब बनाना है। ग्रेटर नोएडा भी उनमें से एक है। ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के उद्योगों की जरूरत को देखते हुए लॉजिस्टिक हब प्रोजेक्ट काफी अहम है। इसके बन जाने के बाद माल ढुलाई आसान हो जाएगी। मुंबई, गुजरात आदि जगहों पर जाने में 4 से 5 दिन लगते हैं, इसके शुरू होने के बाद माल डेढ़ दिन में पहुंच सकेगा। इस लॉजिस्टिक हब को दादरी के पास से गुजर रहे डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर से जोड़ा जाएगा। इसके अलावा लॉजिस्टिक हब में वेयर हाउस भी बनेंगे।
Source navbharattimes

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