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नेवी को मिलेगा महाशक्तिशाली युद्धपोत, रडार की पकड़ से दूर, सबमरीन से लड़ने में सक्षम, पढ़िए खासियतें

विशाखापट्टनम प्रोजेक्ट 15बी का पहला वॉरशिप है। इस प्रोजेक्ट के तहत कुल चार स्वदेशी वॉरशिप बनने हैं। इंडियन नेवी को इस क्लास का दूसरा वॉरशिप अगले साल, तीसरा 2024 और चौथा वॉरशिप 2025 में मिलेगा। इंडियन नेवी के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने बताया कि 21 नवंबर को मुंबई में रक्षा मंत्री इस डिस्ट्रॉयर क्लास वॉरशिप को नेवी में औपचारिक तौर पर शामिल करेंगे। इस डिस्ट्रॉयर का नाम विशाखापट्टनम है।

इंडियन नेवी को सबसे बड़ा डिस्ट्रॉयर मिलेगा। ये पूरी तरह स्वदेशी है। इसे नेवी ने ही डिजाइन किया है और मझगांव डॉकयार्ड में बनाया गया है। इंडियन नेवी के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने बताया कि 21 नवंबर को मुंबई में रक्षा मंत्री इस डिस्ट्रॉयर क्लास वॉरशिप को नेवी में औपचारिक तौर पर शामिल करेंगे। इस डिस्ट्रॉयर का नाम विशाखापट्टनम है।


नेवी को मिलेगा महाशक्तिशाली युद्धपोत, रडार की पकड़ से दूर, सबमरीन से लड़ने में सक्षम, पढ़िए खासियतें

विशाखापट्टनम प्रोजेक्ट 15बी का पहला वॉरशिप है। इस प्रोजेक्ट के तहत कुल चार स्वदेशी वॉरशिप बनने हैं। इंडियन नेवी को इस क्लास का दूसरा वॉरशिप अगले साल, तीसरा 2024 और चौथा वॉरशिप 2025 में मिलेगा। इंडियन नेवी के वाइस चीफ वाइस एडमिरल एस एन घोरमडे ने बताया कि 21 नवंबर को मुंबई में रक्षा मंत्री इस डिस्ट्रॉयर क्लास वॉरशिप को नेवी में औपचारिक तौर पर शामिल करेंगे। इस डिस्ट्रॉयर का नाम विशाखापट्टनम है।



Made In India: 75 फीसदी कंपोनेंट स्वदेशी
Made In India: 75 फीसदी कंपोनेंट स्वदेशी

इस वॉरशिप में 75 पर्सेंट कंपोनेंट स्वदेशी हैं। विशाखापट्टनम गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर है। इसे नेवी के इनहाउस ऑर्गनाइजेशन नेवल डिजाइन डायरेक्टरेट ने डिजाइन किया है और मझगांव डॉकयार्ड में बनाया है। इसकी लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर और वजन 7400 टन है। यह भारत में बना सबसे प्रबल वॉरशिप में से एक है। यह वॉरशिप चार पावरफुल गैस टर्बाइन से चलता है और इसकी स्पीड 30 नॉटिकल माइल्स तक जा सकती है। यह दुश्मन के रडार की नजर से बचकर ऑपरेट कर सकता है।



25 नवंबर को कलवरी क्लास की चौथी सबमरीन 'वेला' भी होगी शामिल
25 नवंबर को कलवरी क्लास की चौथी सबमरीन 'वेला' भी होगी शामिल

इंडियन नेवी को 25 नवंबर को कलवरी क्लास की चौथी सबमरीन 'वेला' भी मिल जाएगी। इसे नेवी चीफ औपचारिक तौर पर नेवी में कमिशन करेंगे। कलवरी क्लास की तीन सबमरीन पहले ही कमिशन हो गई हैं। इस क्लास की कुल छह सबमरीन नेवी को मिलनी है। पांचवीं सबमरीन अगले साल नवंबर तक और छठी सबमरीन 2023 में मिलेगी।



सबमरीन पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत- सीडीएस
सबमरीन पर ज्यादा ध्यान देने की जरुरत- सीडीएस

तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की जरूरत के बारे में पूछने पर नेवी वाइस चीफ ने कहा कि नेवी को इसकी जरूरत है और यह भविष्य की प्लानिंग का हिस्सा है। गौरतलब है कि सीडीएस जनरल बिपिन रावत कई मौकों पर कह चुके हैं कि नेवी को तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की बजाय ज्यादा सबमरीन पर ध्यान देना चाहिए।



भविष्य के खतरों को देखते हुए तैयारियां
भविष्य के खतरों को देखते हुए तैयारियां

सबमरीन की ज्यादा जरूरत है। चीन से पाकिस्तान को मिली वॉरशिप के बाद चुनौती किस तरह बढ़ी है? इस पर नेवी वाइस चीफ ने कहा कि जब भी भविष्य की प्लानिंग होती हैं तो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है कि क्या ने खतरे उभर रहे हैं।



सबमरीन से भी निपटने में सक्षम
सबमरीन से भी निपटने में सक्षम

इसमें सर्फेस टू सर्फेस मिसाइल और सर्फेस टू एयर मिसाइल लगी हैं। इसमें मॉडर्न सर्विलांस रडार फिट हैं जो टारगेट का डेटा सीधे शिप के वेपन सिस्टम में देगा। यह सबमरीन से भी निपटने में सक्षम है। यह शिप न्यूक्लियर, बायोलॉजिकल और केमिकल वॉर की कंडीशन में भी ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है। इसमें स्वदेशी मीडियम रेंज सर्फेस टू सर्फेस मिसाइल, टॉरपीडो ट्यूब्स और लॉर्चर, एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स, सुपर रेपिड गन माउंट, कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम, ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम हैं।



आधुनिक हथियारों से है लैस
आधुनिक हथियारों से है लैस

इसमें स्वदेशी मीडियम रेंज सर्फेस टू सर्फेस मिसाइल, टॉरपीडो ट्यूब्स और लॉर्चर, एंटी सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स, सुपर रेपिड गन माउंट, कॉम्बेट मैनेजमेंट सिस्टम, इंटीग्रेटेड प्लेटफॉर्म मैनेजमेंट सिस्टम, ऑटोमेटेड पावर मैनेजमेंट सिस्टम हैं।



Source navbharattimes

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