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भारत को ग्लासगो में मिली 'खास तव्ज्जो' पर तुर्की को लग गई मिर्ची, जानें क्या बोले राष्ट्रपति एर्दोगन

नई दिल्ली ग्लासगो जलवायु सम्मेलन के दौरान जब दुनिया के कई देश स्पष्ट रूप से मानवता के सामने चुनौती और इससे निपटने के प्रयासों पर चर्चा कर रहे थे उस समय तुर्की अलग ही राग छेड़े हुए था। तुर्की ने सम्मेलन में मेजबान ब्रिटेन की तरफ से भारत को स्पेशल ट्रीटमेंट दिए जाने को लेकर विरोध जाहिर किया। इससे यूके के लिए शर्मिंदगी की स्थिति बन गई। ग्लासगो के पास इतने बड़े वैश्विक कार्यक्रम की मेजबानी करने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण यूके ने सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधिमंडलों से होटल शेयर करने का आग्रह किया था। इसी तरह शासनाध्यक्षों को सम्मेलन स्थल तक ले जाने के लिए बसों का आयोजन किया गया। हालांकि, तीन देश मेजबान, अमेरिका और भारत इसको लेकर अपवाद थे। इन देशों के प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को उन्हें उन होटलों में रहने की अनुमति दी गई जिन्हें उन्होंने अपने लिए विशेष रूप से बुक किया था। जबकि उनके नेता - बोरिस जॉनसन, जो बाइडेन और नरेंद्र मोदी - 1 नवंबर को कारों के काफिले के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे थे। सूत्रों के अनुसार इस तरह से प्रोटोकॉल में भेदभाव पर तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने अपनी नाराजगी जाहिर की। तुर्की के राष्ट्रपति ने यह सवाल उठाया कि भारत का विशेषाधिकार प्राप्त व्यवहार को क्या माना जाए? सूत्रों ने बताया कि तुर्की नेता ने विरोध के रूप में कार्यवाही से दूर रहे, जो पहले से ही तनावपूर्ण द्विपक्षीय समीकरणों को और बढ़ा सकता है। हालांकि, अधिकारियों ने इस विषमता को यह कहते हुए उचित ठहराया कि यह उन प्रयासों की स्वीकृति थी जो भारत ने हाल ही में जलवायु संकट के संबंध में की है। भारत ने इंटरनेशनल सोलर अलायंस लॉन्च किया है। ग्लास्गो में हुई COP-26 समिट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेट जीरो इमिशन को लेकर एक नया शब्द LIFE यानी लाइफ स्टाइल फॉर एनवायर्मेंट सामने रखा था। पीएम मोदी ने साल 2070 तक देश की तरफ से नेट जीरो इमिशन का वादा किया। अमेरिका ने ग्लासगो सम्मेलन के दौरान समूह में शामिल हुआ।
Source navbharattimes

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