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कैसे वापस होंगे तीनों कृषि कानून, प्रधानमंत्री ने किस संवैधानिक प्रक्रिया का किया जिक्र? विस्तार से जानें

नई दिल्ली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज देश के नाम संबोधन में तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने का घोषणा की। उन्होंने अपनी सरकार के इस बड़े फैसले की जानकारी देते हुए यह भी कहा कि इन कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया भी इसी महीने के अंत में शुरू होने वाली संसद सत्र में पूरी कर ली जाएगी। कृषि कानूनों की वापसी की घोषणा से भी संतुष्ट नहीं किसान पीएम ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, 'आज मैं आपको, पूरे देश को यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में, शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, इसी महीने में, हम तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।' पीएम ने इसके साथ ही किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की। वो अलग बात है कि किसान नेता ने कृषि कानूनों की वापसी के ऐलान के बाद भी अपनी घर वापसी से इनकार कर दिया। उनका कहना है कि संसद में कानून वापस लेने की प्रक्रिया पूरी होने तक वो आंदोलन स्थल पर ही रहेंगे। कैसे होगी तीनों कानूनों की वापसी? देश का संविधान संसद और विधानमंडलों को कानून बनाने का अधिकार देता है। संविधान का अनुच्छेद 245 कहता है, 'इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगी और किसी राज्य का विधानमंडल संपूर्ण राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगा।' इसी अधिकार का उपयोग करके संसद कानून बनाती है। ध्यान रहे कि संसद को कानून बनाने के साथ-साथ कानून वापस लेने का भी अधिकार है। संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर से शुरू होकर 23 दिसंबर को खत्म होगा। अगर कोई कानून अपने उद्देश्य की पूर्ति में नाकाम रहता है तो इसे वापस ले लिया जाता है। अमूमन जब नया कानून बनता है तो उस विषय पर पुराने कानून को वापस लिया जाता है। संविधान विशेषज्ञों ने बतायी यह बात तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए सरकार को आगामी सत्र में एक विधेयक पेश करना होगा। कानून मंत्रालय में सचिव रहे पीके मल्होत्रा कहते हैं, 'कानून खत्म करने की प्रक्रिया भी कानून बनाने के समान ही है।' लोकसभा के पूर्व महासचिव पीडीटी आचार्य ने भी कहा कि तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए विधेयक पेश करने के सिवा दूसरा कोई उपाय नहीं है। सवाल है कि क्या तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने के लिए अलग-अलग विधेयक लाने होंगे? इस पर आचार्य स्पष्ट करते हैं कि ऐसा नहीं है। सरकार एक विधेयक में ही तीनों कानूनों की वापसी का जिक्र करके काम खत्म कर सकती है। वहीं, मल्होत्रा ने कहा, 'विधेयक पास होगा तो नया कानून अस्तित्व में आ जाएगा जिसके तहत तीनों कृषि कानून खत्म माने जाएंगे।' लेकिन, तीनों कृषि कानून तो लागू ही नहीं हुए तो फिर उन्हें वापस लेने की बात कहां से आ गई? इसके जवाब में मल्होत्रा कहते हैं, 'कानून भले ही लागू नहीं हुआ हो, लेकिन वो संसद से पारित होकर कानून का रूप ते ले चुके हैं। ऐसे में उन्हें वापस लेने के लिए भी संसदीय प्रक्रिया का पालन करना ही होगा।' मतलब, संसद से बने कानून को खुद संसद ही खत्म कर सकती है, कोई और नहीं। जानें, सरकार को आगामी सत्र में क्या करना होगा चूंकि संसद को तीन कृषि कानूनों को खत्म करने का कानून बनाना है तो उसे इसका एक मसौदा विधेयक (Draft Bill) तैयार करना होगा। यह विधेयक संसद के किसी भी सदन- उच्च सदन राज्यसभा या निम्न सदन लोकसभा में से किसी में पेश किया जाएगा। यह सरकार पर निर्भर है कि वो पहले किस सदन में विधेयक पेश करे। विधेयक पर उस सदन की सहमति मिल जाने पर, उसी प्रक्रिया से दूसरे सदन की भी सहमति लेनी होगी। दोनों सदनों की सहमति मिलने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा। दोनों सदनों से पास हुए विधेयक पर राष्ट्रपति का हस्ताक्षर होते ही कृषि कानूनों को खत्म किए जाने का कानून अस्तित्व में आ जाएगा। ध्यान रहे कि संसद के तीन अंग होते हैं- राज्यसभा, लोकसभा और राष्ट्रपति। यही वजह है कि राष्ट्रपति की सहमति मिलने के बाद ही कोई विधेयक संसद से पारित माना जाता है।
Source navbharattimes

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