DIGITELNEWS पर पढ़ें हिंदी समाचार देश और दुनिया से,जाने व्यापार,बॉलीवुड समाचार ,खेल,टेक खबरेंऔर राजनीति के हर अपडेट

 

अफगानिस्‍तान में जिहादी समूहों को पाल-पोस रही ISI, तालिबान को काबू में रखने की जुगत

नई दिल्‍ली तालिबान को अपने काबू में रखने के लिए पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी ISI ने नई चाल चली है। वह अफगानिस्‍तान में छोटे-छोटे जिहादी समूहों का एक गठबंधन तैयार कर रही है। एक रिपोर्ट के अनुसार, यह गठबंधन तालिबान और IKSP से अलग है। ये नए संगठन और कट्टर विधारधारा पर चलते हैं और तालिबान को नीचा दिखाने की नीयत से बनाए गए हैं। 'फॉरेन पॉलिसी' की नई रिपोर्ट बताती है कि 2020 में ISI ने इस्‍लामिक इनवेजन अलायंस (IIA) को 2020 में खड़ा किया गया और इसे ISI फंड करती है। अमेरिकी इंटेलिजेंस के रडार पर यह गठबंधन पिछले एक साल से भी ज्‍यादा वक्‍त से है। उस वक्‍त, मकसद तालिबान की जीत सुनिश्चित करना था। मगर अब ऐसा लग रहा है कि उसका इस्‍तेमाल तालिबान को नीचा दिखाने के लिए किया जा रहा है। जितना बता रहे, उससे कहीं बुरे हैं हालातइस हफ्ते दिल्‍ली में राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच बैठक हुई। उसमें यह बात निकलकर सामने आई कि तालिबान के भीतर छोटे-छोटे गुटों के बीच की लड़ाई आने वाले दिनों में और उभर कर सामने आने वाली है। ज्‍यादातर चर्चा बंद दरवाजों के पीछे हुई मगर अफगानिस्‍तान के ताजा हालात पर कुछ सहमति जरूरी बनी है। मौके के हालात सार्वजनिक रूप से आ रही रिपोर्ट्स से कहीं ज्‍यादा गंभीर बताए जा रहे हैं। तालिबान के भीतर आने वाला है तूफानदिल्‍ली में हुई कॉन्‍फ्रेंस में हिस्‍सा लेने वाले रूस, ईरान समेत अन्‍य देशों ने पिछले 20 साल को 'असफलता' करार दिया। कई देश तालिबान से बातचीत कर रहे हैं, मगर उनपर विश्‍वास नहीं है। बैठक में शामिल एक अधिकारी ने कहा, 'इस बात पर सहमति थी कि तालिबान को पहले घरेलू स्‍तर पर वैधता हासिल करनी होगी, उसके बाद बाहरी मान्‍यता पर बात होगी।' यह शांति से होगा, मुश्किल है। मुल्‍ला बरादर के नेतृत्‍व वाले दोहा ग्रुप और हक्‍कानी नेटवर्क के बीच सत्‍ता का संघर्ष होने की संभावना है। इनमें से मुल्‍ला बरादर अमेरिका का करीबी समझा जाता है और हक्‍कानी पाकिस्‍तान के। क्‍यों हो रही है टेंशन? NSAs ने जो चिंताए जाहिर कीं, उनमें सबसे प्रमुख अफगानिस्‍तान से आ रहे शरणार्थियों की संख्‍या थी। इससे तालिबान की विचारधारा उन देशों में फैल सकती है जो उन्‍हें शरण देंगे। इसके अलावा अमेरिका जिन हथियारों को पीछे छोड़ गया है, उनकी संख्‍या भी तेजी से बढ़ रही है जो अलग सिरदर्द है।
Source navbharattimes

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ