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इतने मीठे... शहद भी फेल कर दिया... हलवाई को ततैया भी नहीं काटता... PM मोदी पर राकेश टिकैत का तंज

नई दिल्ली पीएम नरेंद्र मोदी की तरफ से तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने शनिवार को कहा कि कानूनों की वापसी की घोषणा के बावजूद वह सरकार से बिना बात किए घर नहीं जाएंगे। टिकैत ने अपने ही अंदाज में पीएम मोदी पर तंज कसा। 'पीएम को इतना मीठा भी नहीं होना चाहिए' राकेश टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री को इतना मीठा भी नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि 750 किसान शहीद हुए, 10 हजार मुकदमे हैं। बगैर बातचीत के कैसे चले जाएं। प्रधानमंत्री ने इतनी मीठी भाषा का उपयोग किया कि शहद को भी फेल कर दिया। टिकैत ने कहा कि हलवाई को तो ततैया भी नहीं काटता। वह ऐसे ही मक्खियों को उड़ाता रहता है। टिकैत के मोदी पर हमले के मायने समझिए पीएम नरेंद्र मोदी के तीनों लिए जाने की घोषणा के बाद भी राकेश टिकैत पीएम पर लगातार हमलावर हैं। कृषि कानून वापसी के ऐलान के बाद माना जा रहा है कि अब इसकी क्रेडिट लेने की होड़ शुरू हो सकती है। टिकैत के पीएम मोदी पर दिए जा रहे बयानों को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, पीएम के ऐलान के साथ ही किसान नेताओं ने कहा था कि MSP पर एक्ट बनने तक यह आंदोलन जारी रहेगा। यानी, किसान नेता जल्दी इस बड़े मौके को हाथ से गंवाना नहीं चाहते हैं। टिकैत ने शुक्रवार को कहा था कि संसद में कृषि कानून की वापसी तक वह आंदोलन खत्म नहीं करने वाले हैं। 'संसद से कानून के रद्द होने तक आंदोलन जारी रहेगा' राकेश टिकैत का कहना है कि संसद से कानून के रद्द होने तक आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत ने कहा कि हम लड़ेंगे और जीतेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार अब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनाए। किसान नेता ने कहा कि सरकार को किसानों के दूसरे मुद्दों पर भी बात करनी चाहिए। राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानूनों की वापसी पर सिंघू बॉर्डर पर आज संयुक्त किसान मोर्चा की आज बैठक होने वाली है। उन्होंने कहा कि दोपहर 12 बजे होने वाली बैठक में नौ सदस्यों की कमेटी आगे की रणनीति तय करेगी। पीएम मोदी ने किया था ऐलानगुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तीन कृषि कानून किसानों के फायदे के लिए थे लेकिन हमारे सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद हम किसानों के एक वर्ग को मना नहीं पाए। उन्होंने कहा कि तीन कृषि कानूनों का लक्ष्य किसानों, खासकर छोटे किसानों को सशक्त बनाना था। बीकेयू के मीडिया प्रभारी धमेंद्र मलिक ने कहा कि यह बस पहली जीत है जो किसानों की एकता, उनके बलिदान एवं संघर्ष के कारण आयी है।
Source navbharattimes

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