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इंडिया गेट में दिखेंगे 1971 के हथियार, जनरल बिपिन रावत का अंतिम संदेश भी गूंजेगा

नई दिल्ली देश के अलग अलग म्यूजियम में रखे वे हथियार दिल्ली लाए जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल 1971 युद्ध (1971 War) में भारतीय सेना, नेवी और एयरफोर्स ने किया था। 12 दिसंबर से 14 दिसंबर तक ये इंडिया गेट () में देखे जा सकेंगे। ये वे हथियार हैं जिनका इस्तेमाल कर भारतीय सेना () ने पाकिस्तान को मात दी और बांग्लादेश को मुक्ति दिलाई। स्वर्णिम विजय पर्व (1971 War Victory Day) की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह () 12 दिसंबर की सुबह करेंगे जिसके बाद यह पब्लिक के लिए खुलेगा। आप भी बन सकते हैं इस स्वर्णिम दिन के गवाह रक्षा मंत्रालय () के एक अधिकारी के मुताबिक 1971 में लड़ी गई अहम लड़ाइयों के बारे में भी यहां ऑडियो-विजुवल मीडियम से बताया जाएगा। रक्षा मंत्री 1971 युद्ध में शामिल रहे योद्धाओं से बात करेंगे । इस दौरान करीब 40 वॉर वेटरंस (War Veterns) मौजूद रहेंगे। शो देखने के लिए बुक माई शो ऐप (Book My Show App) पर जाकर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यह फ्री होगा लेकिन जरूरी होगा। कोविड प्रोटोकॉल (Covid Protocol) को ध्यान में रखते हुए हर रोज 5-6 हजार लोगों की ही एंट्री होगी और टाइम के हिसाब से स्लॉट मिलेगा। 14 दिसंबर की शाम राष्ट्रपति (President Ramnath Kovind) इसका समापन करेंगे। गूंजेगा सीडीएस बिपिन रावत का आखिरी संदेश स्वर्णिम विजय पर्व के लिए ही जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने अपना आखिरी संदेश रेकॉर्ड (Last Message) किया था। बुधवार को उन्हें दिल्ली से वेलिंगटन जाना था इसलिए उन्होंने मंगलवार को इस पर्व को लेकर अपना विडियो मैसेज रेकॉर्ड किया, जिसे मीडिया के जरिए प्रचारित किया जाना था, ताकि लोगों को स्वर्णिम विजय पर्व के बारे में जानकारी मिले। बांग्लादेश के 30 मुक्तियोद्धा भी रहेंगे मौजूद इस खास मौके पर बांग्लादेश से आ रहे 30 मुक्तियोद्धा भी मौजूद रहेंगे। बांग्लादेश आर्मी (Bangladesh Army) के कुछ रिटायर्ड ऑफिसर्स भी इसमें शामिल होंगे। 16 दिसंबर को नैशनल वॉर मेमोरियल (National War Memorial) में विजय मशाल पहुंचेगी। ये मशालें करीब एक साल से अलग अलग जगहों पर गई हैं। ऐसी चार विजय मशालें वॉर मेमोरियल में आएंगी। जहां जहां ये मशालें गईं, वहां से वीरों की धरती से मिट्टी भी लाई गई है। इस मिट्टी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पौधारोपण करेंगे। बांग्लादेश में भी 1971 वॉर में मिली जीत को सेलिब्रेट किया जा रहा है। 6 दिसंबर से मैत्री पर्व चल रहा है।
Source navbharattimes

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