मुसलमान अपने मुआशरे में ख़वातीन को कितनी आज़ादी देते हैं और उनके मसाइल पर किस हद तक संजीदा हैं, यह दो ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब जानने में तक़रीबन हर किसी की दिलचस्पी है। एक तबक़ा मानता है कि ख़वातीन से जुड़े तमाम सवालों की जड़ें हमारे मुल्क में मर्दों के दबदबे में दबे हुए हैं। दूसरा तबक़ा इसकी वजह मज़हब को मान रहा है। एक और भी तबक़ा है जो हर परेशानी का हल क़ानून में तलाश करता है। Source navbharattimes
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