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सुप्रीम कोर्ट में बोली केंद्र सरकार- होने दी जाए नीट पीजी की काउंसिलिंग

राजेश चौधरी, नई दिल्ली नीट पीजी काउंसलिंग मामले की सुनवाई के दौरान में केंद्र सरकार ने कहा कि नीट पीजी काउंसलिंग शुरू होने दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की इस दलील पर याचिकाकर्ताओं से जवाब दाखिल करने को कहा। याचिकाकर्ताओं ने नीट पीजी के ऑल इंडिया कोटा में ईडब्ल्यूएस और ओबीसी रिजर्वेशन को चुनौती दे रखी है। साथ ही ईडब्ल्यूएस के लिए 8 लाख रुपये सालाना आय के क्राइटेरिया पर भी सवाल उठाया गया है। 'नीट पीजी काउंसलिंग की इजाजत दी जाए' नीट पीजी काउंसलिंग में देरी के कारण रेजिडेंट्स डॉक्टरों के प्रोटेस्ट के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने अर्जी दाखिल कर जल्द सुनवाई की गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच के सामने बुधवार को मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि नीट पीजी काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत दी जाए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि 31 दिसंबर को उनकी ओर से हलफनामा दायर किया गया है। केंद्र ने कहा 25 नवंबर को जो बयान दिया था उस वक्त मौजूदा हालात के बारे में पता नहीं था। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि हमने 25 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि ईडब्ल्यूएस क्राइटेरिया पर दोबारा विचार कर फैसला लेंगे और तब तक काउंसलिंग नहीं होगी। अब एक्सपर्ट कमिटी की उस सिफारिश को स्वीकार कर लिया गया है जिसके तत ईडब्ल्यूएस के लिए तय मौजूदा क्राइटेरिया जारी रहेगा। रेजिडेंट्स डॉक्टर प्रोटेस्ट कर रहे हैं उनकी चिंता भी जायज है हम अदालत से अनुरोध करते हैं कि नीट पीजी काउंसलिंग शुरू करने की इजाजत दें। हम मानते हैं कि 25 नवंबर को हमने कहा था कि काउंसिंल तब तक नहीं होगी जब तक दोबारा विचार कर फैसला नहीं लिया जाता है लेकिन जब बयान दिया था तब मौजूदा स्थिति के बारे में पता नहीं था। केंद्र सरकार की अर्जी का हो रहा है विरोध जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आपने 25 नवंबर को सुनवाई के दौरान कहा था कि आप दोबारा ईडब्ल्यूएस क्राइटेरिया को देखेंगे अब आपने हलफनामा दिया। सॉलिसिटर जरनल ने कहा एक्सपर्ट कमिटी की सिफारिश स्वीकार कर ली गई है। हम इस मामले में याचिकर्ताओं को सुनेंगे। इस दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता वकील श्याम दीवान और अरविंद दत्तार से पक्ष रखने को कहा। तब दत्तार ने कहा कि दो परेशानी है अगर काउंसलिंग होने दिया जाएगा। अगर रिपोर्ट के आधार पर काउंसिंग होने दिया गया तो फिर मतलब यह होगा कि आठ लाख के क्राइटेरिया के आधार पर एडमिशन भी होगा? फिर हमारी अर्जी का क्या होगा? सुनवाई के दौरान श्याम दीवान ने दलील दी कि हम ईडब्ल्यूएस और ओबीसी रिजर्वेशन दोनों को ही नीट पीजी में ऑल इंडिया कोटा के लिए विरोध करते हैं। केंद्र सरकार ने गेम के बीच में नियम बदले हैं और वह नहीं हो सकता। श्याम दीवान ने कहा कि नीट पीजी एग्जाम के लिए 15 मार्च 2021 को नोटिफिकेशन जारी हुआ। पेपर अप्रैल में होना था लेकिन कोविड के कारण सितंबर में हुआ। इसी दौरान 29 जुलाई 2021 को केंद्र ने नोटिफिकेशन जारी कर ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कैटगरी के लिए ऑल इंडिया कोटा में रिजर्वेशन देने का फैसला किया गया। और इस तरह से जनरल कैटगरी की 2500 सीटें ले ली गई। गेम के बीच में नियम बदल दिया गया। एग्जाम के नोटिस जारी होने के बाद रिजर्वेशन का फैसला लिया गया और ऐसे में इस एडमिशन में इसे लागू नहीं किया जाना चाहिए। साथ ही कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है कि सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में रिजर्वेशन नहीं होना चाहिए और पीजी कोर्स कई कोर्स के लिए आखिरी कोर्स है ऐसे में सुपर स्पेशियलिटी कोर्स का सिद्धांत यहां भी लागू होता है। अरविंद दत्तार ने दूसरे याची की ओर से दलील दी कि ओबीसी कमिशन की तरह ही ईब्ल्यूएस कैटगरी के लिए आठ लाख का क्राइटेरिया तय करने के लिए कोई स्टडी नहीं की गई और मनमाने तरीके से इसे लागू किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि किस कोर्स में ईडब्ल्यूएस क्राइेटरिया लागू है तब अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि केंद्र सरकार के संस्थान में काफी समय से लागू है। बहरहाल सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अगली सुनवाई के लिेए तारीख तय कर दी है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा था जब तक क्राइटेरिया पर विचार नहीं होगा तब तक काउंसलिंग नहीं होगी सुप्रीम कोर्ट में 25 नवंबर को हुई सुनवाई में केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत को बताया था कि नीट पीजी का काउंसलिंग प्रक्रिया तब तक शुरू नहीं होगी जब तक केंद्र सरकार ईडब्ल्यूएस के लिए 8 लाख रुपये की लिमिट पर दोबारा फैसला नहीं ले लेती है। सुप्रीम कोर्ट को केंद्र सरकार ने कहा था कि वह ईडब्यूएस के लिए आठ लाख रुपये की जो लिमिट तय कर रखी है उस बारे में दोबारा विचार करेगा और चार हफ्ते में दोबारा विचार कर फैसला लिया जाएगा और तब तक नीट की काउंसलिंग रुकी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि था आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) घोषित करने के लिए आठ लाख रुपये सलाना आमदनी से कम आमदनी का जो क्राइटेरिया तय किया गया है उसके लिए उसने क्या एक्सरसाइज किया है। केंद्र से सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि वह बताए कि जो मानदंड तय किया गया है उसके पीछे क्या आधार है। क्या है केंद्र सरकार का फैसला गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 29 जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर मेडिकल कोर्स में एडमिशन के लिए आयोजित होने वाले नीट परीक्षा में ऑल इंडिया कोटा के तहत ओबीसी को 27 फीसदी और आर्थिक तौर पर कमजोर स्टूडेंट को 10 फीसदी रिजर्वेश देने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के फैसले को चुनौती दी गई है।
Source navbharattimes

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