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आखिर चीन के प्रॉपगैंडा में कैसे फंस गए राहुल गांधी? गलवान पर तीन दिन में ही बदलना पड़ा रुख

नई दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद ने गलवान घाटी में तिरंगा फहराए जाने पर खुशी का इजहार किया है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'भारत की पवित्र भूमि पर हमारा तिरंगा ही फहराता अच्छा लगता है।' इससे पहले राहुल ने चीन की तरफ से जारी प्रॉपगैंड वीडियो के हवाले से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ललकारा था। उन्होंने 2 जनवरी को प्रधानमंत्री से चुप्पी तोड़ने की चुनौती दी थी। यानी, चीन के मुद्दे पर राहुल को तीन दिनों में ही मिजाज बदलना पड़ा। ऐसे में सवाल उठता है कि राहुल गांधी आखिर चीनी प्रॉपगैंडा में इतना जल्दी फंस ही क्यों जाते हैं? चीन ने जारी किया प्रॉपगैंडा वीडियो दरअसल, चीन ने नव वर्ष के मौके पर गलवान में अपना झंडा फहराए जाने का दावा किया। चीन की सरकारी मीडिया ने 1 जनवरी को एक वीडियो ट्वीट कर लिखा, 'न्यू इयर डे 2022 को गलवान घाटी में चीन का राष्ट्रीय झंडा लहराया। राष्ट्रीय झंडा काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एक बार बीजिंग के तियानमेन स्क्वैयर पर भी लहराया।' राहुल ने की जल्दबाजी राहुल गांधी ने अगले दिन 2 जनवरी को इस पर प्रतिक्रिया दी और पीएम मोदी को निशाना बनाया। उन्होंने लिखा, 'गलवान पर हमारा तिरंगा ही अच्छा लगता है। चीन को जवाब देना होगा। मोदी जी, चुप्पी तोड़ो!' भारतीय सैनिकों का आया जवाब फिर, भारतीय सैनिकों ने 4 जनवरी को गलवान में तिरंगा फहराती तस्वीर शेयर की। भारतीय सैनिकों ने गलवान की जो तस्वीर शेयर की है उसमें बर्फ की चादर साफ देखी जा सकती है। इसके बाद राहुल गांधी ने संतोष व्यक्त करते हुए लिखा, 'भारत की पवित्र भूमि पर हमारा तिरंगा ही फहराता अच्छा लगता है।' उन्होंने ट्विटर पर यह तस्वीर भी शेयर की। आखिर चीनी चाल में कैसे फंस गए राहुल दरअसल, प्रॉपगैंडा वॉर में माहिर चीन ने नए साल पर वीडियो जारी कर दावा किया कि जिस गलवान घाटी में जिस जगह भारत और चीन के बीच खूनी झड़प हुई थी, वह इलाका अब उसका है। इस पर भारत में विपक्षी दल ने सरकार से सवाल पूछने शुरू कर दिए। राहुल भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने तुरंत सरकार को घेर लिया। हालांकि, उन्हें धैर्य का परिचय देते हुए चीन के रेकॉर्ड का ध्यान रखना चाहिए था। उन्हें अपनी सरकार पर सवाल उठाने से पहले यह सोचना चाहिए था कि अनजाने में उनसे कहीं चीन का एजेंडा ही तो आगे नहीं बढ़ जाएगा क्योंकि चीन तो इसी तरह के भ्रमजाल में फांसने की चाल चलता रहता है। पहले भी कठघरे में आ चुके हैं राहुल राहुल गांधी को चीन के मामले में इसलिए भी अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए क्योंकि वो पहले भी सवालों के दायरे में आ चुके हैं। भारत में चीन के दूतावास ने जुलाई 2017 में राहुल गांधी के चीनी दूत से मिलने का दावा किया था। हालांकि, कांग्रेस पार्टी की तरफ से इनकार करने के बाद दूतावास ने अपनी वेबसाइट से यह बात हटा दी, लेकिन उसने कोई सफाई पेश नहीं की। इससे राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी कठघरे में खड़ा हो गई थी। तब पूछा जाने लगा था कि अगर राहुल गांधी ने चीनी दूत से मिले तो इसे छिपाने की क्या जरूरत है? दरअसल, उस वक्त कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधी चीन को लेकर मोदी सरकार से सवाल कर रहे थे। इस कारण सवाल उठने लगे थे कि राहुल गांधी एक तरफ चीनी दूत से चुपके-चुपके मुलाकात करते हैं और दूसरी तरफ सरकार पर निशाना साधते हैं, इसके पीछे उनकी या कांग्रेस पार्टी की क्या मंशा हो सकती है? चीन को लेकर कांग्रेस पार्टी पर भी उठे सवाल फिर कांग्रेस पार्टी और चीनी कम्यूनिस्ट पार्टी के बीच समझौते की बात तो सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच चुकी है। वर्ष 2008 में दोनों पार्टियों के बीच हुए समझौते का दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई गई कि वो इसकी सीबीआई और एनआईए से जांच करवाए। एक वकील और एक पत्रकार ने जून 2020 में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा था कि दोनों पार्टियों के एमओयू डीटेल अभी तक उजागर नहीं हुए हैं जो भारतीयों के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है। अर्जी में कहा गया है कि मामले में पार्दर्शिता जरूरी है। अर्जी में दावा किया गया कि 7 अगस्त 2008 को बीजिंग में हुए समझौते के तहत एमओयू साइन हुए हैं जिसमें तय हुआ है कि दोनों पार्टी एमओयू के तहत क्षेत्रीय, द्वीपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मामलों पर एक दूसरे से बात करेंगे। चीन की दोहरी चाल बहरहाल, जल्द ही पता चल गया कि चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपनी तरफ वीडियो शूट किया है। उसके बाद भारतीय सैनिकों ने गलवान घाटी में तिरंगा लहराती तस्वीर शेयर कर दी। दरअसल, चीन दोहरी चाल के लिए काफी बदनाम है। नए साल के मौके पर भी एक तरफ उसके सैनिक एलएसी पर भारतीय सैनिकों के साथ मिठाइयों का आदान-प्रदान कर रहे थे तो दूसरी तरफ प्रॉपगैंडा वीडियो भी शूट किया जा रहा था। नए साल के मौके पर शनिवार को भारत और चीन की सेनाओं ने एक-दूसरे को मिठाइयां और शुभकामनाएं दीं। पूर्वी लद्दाख में एलएसी के काराकोराम दर्रे, डीबीओ, चुशूल, डेमचोक, हॉट स्प्रिंग, बोटलनैक और कोंगराला एरिया सहित कुल सात जगहों पर दोनों देशों की सेनाओं के फील्ड कमांडर्स ने मुलाकात कर पिछले डेढ़ साल से जारी तनाव को खत्म कर नव वर्ष की शुभकामनाएं दीं।
Source navbharattimes

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