मुंबई: महाराष्ट्र के कैबिनेट मिनिस्टर नवाब मलिक(Nawab Malik) को कुर्ला की तीन एकड़ जमीन को खरीदने की वजह से अदालत ने उन्हें 3 मार्च तक ईडी(ED) की हिरासत में भेज दिया है। मलिक पर यह आरोप है कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम(Dawood Ibrahim) की बहन हसीना पारकर(Haseena Parkar) से जमीन खरीदी है। उन्होंने यह जमीन 55 लाख रुपये में खरीदी थी। जिसमें पांच लाख रुपये चेक से दिए गए थे और 50 लाख रुपये कैश। आरोप यह भी है कि मलिक की तरफ से भुगतान किए गए पैसों का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किया गया है। यह जमीन हसीना पारकर ने फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए मूल मालिक मुनीरा प्लंबर से हथिया ली थी। ईडी द्वारा नवाब मलिक पर लगाये गए सभी आरोपों को सिलसिलेवार ढंग से बताने के पहले आपको इस कहानी में शामिल किरदारों के बारे में भी जानना जरूरी है। पहली किरदार हैं हसीना पारकर जिनका साल 2014 में दिल का दौरा पड़ने से इंतकाल हो गया था। हसीना अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन थी। जो उसके सभी अवैध धंधों को मुंबई में संभालती थी। इनमें से एक धंधा दूसरे की संपत्तियों पर अंडरवर्ल्ड की धौंस दिखाकर कब्जा करना था। कुर्ला की इस जमीन पर भी फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए हसीना पारकर ने कब्जा किया था। जिसे बाद में नवाब मलिक को 55 लाख रुपए में 300 करोड़ रुपए की जमीन बेच दी गई थी। कुर्ला के एलबीएस रोड पर यह तीन एकड़ की जमीन गोवा वाला कंपाउंड में है। जिसकी वजह से नवाब मलिक आज सलाखों के पीछे हैं। हसीना के बेटे अलीशाह पारकर से जब ईडी ने पूछताछ की थी। तब उसने नवाब मलिक और अंडरवर्ल्ड के इस कनेक्शन का जिक्र किया था। जिसके बाद मलिक पर नकेल कसी गयी। दूसरा किरदार है सलीम पटेल जो हसीना पारकर का फ्रंट मैन था। इस जमीन पर कब्जा करने के बाद उसमें एक ऑफिस खोला गया था। जिसमें सलीम पटेल बैठता था और गोवा वाला कंपाउंड के मामले सुलझाता था। सलीम पटेल, हसीना पारकर के साथ मिलकर जमीन पर कब्जा करने का काम करता था। तीसरा किरदार है सरदार वाली शाह खान, जिसके भाई रहमान खान को जमीन की मूल मालिक मुनीरा प्लम्बर ने गोवावाला कंपाउंड में रहने वाले लोगों से किराया वसूलने की जिम्मेदारी थी। सरदार वाली शाह 1993 बम धमाकों के आरोपी था और उस समय पेरोल पर बाहर आया था। इस जमीन के सौदे में उसका भी अहम रोल था। ईडी की दलीलें जिसने नवाब मलिक को पहुंचाया जेल 1) ईडी के अधिकारियों ने अदालत में यह कहा कि नवाब मलिक अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर के संपर्क में थे। उससे ही उन्होंने कुर्ला कि वह तीन एकड़ जमीन कौड़ियों के दाम खरीदी थी। मलिक ने तीन सौ करोड़ रुपए के जमीन महज 55 लाख में खरीदी थी। ईडी ने कहा कि इसमें से 50 लाख कैश दिए गए थे। जिनका इस्तेमाल इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किया गया। 2) ईडी के वकील ने अदालत में यह भी कहा नवाब मलिक यह जानते थे कि दाऊद इब्राहिम कौन है? और उसकी बहन हसीना पारकर क्या करती है। बावजूद इसके, उन्होंने हसीना पारकर और उसके आदमियों के जरिए यह जमीन कौड़ियों के दाम पर खरीदी । इससे मलिक और अंडरवर्ल्ड के रिश्तो का भी पता चलता है। 1993 बम धमाकों के मुख्य आरोपी दाऊद इब्राहिम के गैंग को संभालने वाली हसीना पारकर से ताल्लुक रखना भी उनके अंडरवर्ल्ड कनेक्शन को उजागर करता है। 3) कुर्ला स्थित गोवा वाला कंपाउंड की जमीन की मूल मालिक मुनीरा प्लंबर ने भी इस मामले में ईडी के समक्ष गवाही दी थी। जिसमें उन्होंने बताया था कि उनकी जमीन को फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए सॉलिड्स इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के माध्यम से नवाब मालिक ने खरीदा था। यह कंपनी भी नवाब मलिक के परिवार की है। मुनीरा ने यह भी कहा कि उन्होंने यह जमीन कभी भी बेची नहीं थी। उन्होंने सिर्फ इस जमीन पर रहने वाले किरायेदारों से किराया वसूलने के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दी थी। लेकिन फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनाकर बिना उन्हें बताए यह जमीन बेच दी गई। यह बात भी उन्हें मीडिया के जरिए पता चली थी। 4 ) ईडी ने अदालत में यह भी कहा कि जिस जमीन को नवाब मलिक ने खरीदा है। उसका संबंध सीधे तौर पर 1993 बम धमाकों के आरोपियों से था। जिसमें पहला नाम सरदार शाह वली खान का है जो बम धमाकों में का एक आरोपी है। फिलहाल उम्र कैद की सजा काट रहा है। सरदार पर यह आरोप था कि उसने टाइगर मेमन के कहने पर बीएमसी की इमारत और अन्य जगहों पर बम रखने के लिए रेकी की थी। इसके अलावा अल हुसैनी बिल्डिंग जहां टाइगर मेमन रहता था। वहां पर मौजूद कार में विस्फोटक भरने का भी काम किसी व्यक्ति ने किया था। 5) प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में नवाब मलिक के अंडरवर्ल्ड कनेक्शन को साबित करने के लिए यह भी बताया कि मोहम्मद सलीम पटेल उर्फ सलीम पटेल दाऊद इब्राहिम गैंग का गुर्गा था। जो उस समय हसीना पारकर का बॉडीगार्ड और ड्राइवर भी था। हसीना पारकर की मौत के पहले जब उसे गिरफ्तार किया गया था। तब मुंबई पुलिस ने सलीम पटेल को भी गिरफ्तार किया था। दोनों की गिरफ्तारी साल 2007 में एक जमीन पर कब्जा करने की वजह से हुई थी। उस समय हसीना पारकर जितनी भी संपत्तियों पर कब्जा कर करती थी। उनमें ज्यादातर पावर ऑफ अटॉर्नी सलीम पटेल के नाम पर ही होती थी। यह सब जानते हुए भी नवाब मलिक ने यह जमीन खरीदी। 6) कुछ दिनों पहले मुंबई शहर में ईडी की टीम ने हसीना पारकर के घर और संबंधित लोगों पर छापेमारी की थी। इस छापेमारी के दौरान ईडी ने सलीम फ्रूट और पारकर के बेटे अली शाह पारकर से पूछताछ की थी। इसी पूछताछ के दौरान हसीना के बेटे ने नवाब मलिक और अंडरवर्ल्ड कनेक्शन का जिक्र किया था। इसी पूछताछ में अली शाह पारकर ने नवाब मलिक की इस गोवा वाला कंपाउंड की जमीन तभी जिक्र किया था। इस रेड के दौरान ईडी अंडरवर्ल्ड से जुड़े राजनेताओं के तार ढूंढने में लगी हुई थी। 7) प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत में यह भी कहा कि जिन लोगों से नवाब मलिक ने यह जमीन खरीदी है। वह 1993 बम धमाकों के आरोपी थे और उनके ऊपर टाडा के तहत मुकदमा चल रहा था। तब ऐसा कानून था कि ऐसे आरोपियों की जमीन या संपत्ति को सरकार अपने कब्जे में लेती है। लेकिन अंडरवर्ल्ड के लोगों की जमीन सरकारी कब्जे में ना जाने पाए। इसलिए नवाब मलिक ने इस जमीन का सौदा किया और उसे खरीदा। 8) ईडी ने अदालत में कहा कि इस लैंड डील के जरिए नवाब मलिक ने मनी लॉन्ड्रिंग की है। उन्होंने 300 करोड़ की जमीन को महज 55 लाख में खरीदा और उसमें से भी सिर्फ पांच लाख चेक से पेमेंट दिया गया। बाकी के 50 लाख कैश में चुकाए गए। इस जमीन को बेचने वाले लोग अंडरवर्ल्ड के थे। जो मुंबई में हवाला रैकेट भी चलाते हैं। ईडी ने अदालत में कहा कि इस जमीन के जरिए मुंबई में नवाब मालिक में अंडरवर्ल्ड की जड़ों को और भी मजबूत करने का काम किया है। 9)ईडी ने विवादास्पद प्रॉपर्टी से जुड़े विवाद में एक महिला मुनीरा प्लम्बर का स्टेटमेंट लिया है। उन्होंने ईडी को 12 सितंबर, 1989 को मुंबई की एक कोर्ट में दाखिल की गई उस शिकायत की प्रति दी, जिसमें नवाब मलिक पर आरोप लगाया था। उनका आरोप था कि गोवाला कंपाउंड में उनकी संपत्ति (दुकानों) को हड़पने के लिए उन्हें नवाब मलिक ने धमकाया था। जिस संपत्ति का यह मामला है, वह मुनीरा और मरियम कुर्ला की है।
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