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जानिए आज किस हाल में है 90’s का शातिर विलेन ‘इंस्पेक्टर गोडबोले’ उर्फ़ सदाशिव अमरापूरकर

पुरानी फिल्मों में विलेन का किरदार बहुत मजबूत होता था! जितना जबरदस्त विलेन का किरदार फिल्मों में होता था। हीरो का किरदार भी उसी पर निर्भर करता था! उस जमाने में कुछ मशहूर विलेन हुए। जिनको जब लोग फिल्मी पर्दे पर देखते थे तो अलग से ही उनके प्रति लोगों की प्रतिक्रिया रहती थी। ऐसा लगता था कि सच में वह बहुत बड़े विलेन है। लोग उन्हें पर्दे पर ही गालियां भी देते थे और उनकी तारीफ भी करते थे। क्योंकि वह अपनी एक्टिंग में इस तरह से घुस जाते थे कि लोगों को वह असल जिंदगी में भी विलेन लगते थे।

ऐसे ही एक विलन थे सदाशिव अमरापुरकर। सदाशिव को काला नाग के नाम से भी जाना जाता है। एक फिल्म में उन्होंने काला नाग नाम के विलेन का किरदार निभाया था। जिसमें वह बार-बार खुद को काला नाग कह रहे थे! इसलिए लोगों के बीच में उनका यही नाम प्रसिद्ध हो गया।

sadashiv amrapukar

सदाशिव अमरापूरकर का जन्म 11 मई 1950 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुआ था। उनका पूरा नाम सदाशिव दत्ताराय अमरापूरकर है। सदाशिव ने स्कूल के दिनों से ही एक्टिंग करनी शुरू कर दी थी। स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने ‘पुणे विश्वविद्यालय’ से इतिहास में ‘मास्टर डिग्री’ हासिल की। इसके बाद उन्होंने अपनी एक्टिंग स्किल्स बढ़ाने के लिए थिएटर जॉइन कर लिया। वो महाराष्ट्र के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट में ‘रणजी ट्रॉफ़ी’ मुक़ाबले भी खेल चुके हैं। सदाशिव अमरापूरकर ने साल 1983 में गोविंद निहलानी की फ़िल्म ‘अर्ध सत्य’ से बॉलीवुड में डेब्यू किया था। इस दौरान उन्होंने पहली ही फ़िल्म में अपनी शानदार एक्टिंग के लिए ‘बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर’ का फ़िल्मफेयर पुरस्कार जीता था। इसके बाद 1991 में संजय दत्त-पूजा भट्ट स्टारर ‘सड़क’ फ़िल्म नकारात्मक भूमिका के लिए ‘सर्वश्रेष्ठ खलनायक’ का फ़िल्मफेयर पुरस्कार भी अपने नाम किया। इस फ़िल्म में उन्होंने ट्रांसजेंडर महारानी का किरदार निभाया था, जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।

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इसके बाद ‘हम हैं कमाल के’ फ़िल्म में निभाई गई ‘इंस्पेक्टर गोडबोले’ की भूमिका ने उन्हें एक अलग ही पहचान दिलाई थी और इस तरह उन्होंने बॉलीवुड में अपनी जगह बनाई है। इसे संयोग ही कहेंगे कि उन्होंने अपने करियर में 25 से अधिक फ़िल्मों में इंस्पेक्टर का किरदार निभाया था। सदाशिव अमरापूरकर की आख़िरी बॉलीवुड फ़िल्म साल 2013 में रिलीज़ हुई ‘बॉम्बे टॉकीज़’ थी। इसके बाद साल 2014 में फेफड़ों में सूजन की वजह से उन्हें मुंबई के ‘कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल’ में भर्ती कराया गया था। इस दौरान उनकी हालत बेहद गंभीर हो गई और 3 नवंबर, 2014 को 64 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

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