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जब लाल किले पर झंडा फहराने धोती-कुर्ता में पहुंच गए चौधरी चरण सिंह, फिर..

राघवेंद्र शुक्ल/ योगेश भदौरिया, बागपत चौधरी चरण सिंह प्रधानमंत्री बनने से पहले बागपत जिले की छपरौली सीट से विधानसभा चुनाव लड़ते थे। छपरौली के लोग चौधरी चरण सिंह को आज भी याद करते हैं। नवभारत टाइम्स की चुनावी यात्रा जब बागपत के छपरौली पहुंची तो यहां दो सगे भाइयों रामपाल और इकबाल ने चौधरी साहब को याद करते हुए बताया कि वह किसान और मजदूरों के अद्वितीय नेता थे। रामपाल ने एक संस्मरण याद करते हुए बताया कि चौधरी चरण सिंह तब शायद प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री थे। वह आधी रात को बड़ौत थाने में चले आए और पुलिसकर्मियों से कहा कि वह किसान हैं और उनकी एक रिपोर्ट लिखो। इस पर थानेदार ने उन्हें फटकारा कि आधी रात का टाइम क्या रिपोर्ट लिखने के लिए है। उन्होंने चरण सिंह को धमकी भी दी। इसके बाद उन्होंने अपना आईकार्ड पुलिसकर्मी को दिखाया और कहा कि क्या यही पब्लिक की सेवा है? इसके बाद उन्होंने बड़ौत का पूरा थाना सस्पेंड कर दिया। हमने पूछा कि क्या छपरौली के लोग चौधरी साहब को याद करते हैं? इस पर रामपाल ने 'हां' कहा और बताया कि कुछ बूढ़े तो ऐसे भगत हैं कि एक बार जब चौधरी अजित सिंह चुनाव हार गए थे तो एक किसान कुएं में कूद गया था। उसका नाम मंसाराम था। उनका परिवार आज भी आरएलडी का समर्थन है। उन्होंने बताया कि चौधरी साहब के जमाने में उन्हें एकतरफा वोट पड़ता था। उनसे कोई भी नाराज नहीं रहता था। सभी जाति के लोग उन्हें वोट डालते थे। हम उनसे पूछते हैं कि क्या छपरौली के लोग चरण सिंह को याद करते हैं। इस पर इकबाल रामपाल से हमें एक रागणी सुनाने के लिए कहते हैं। बुजुर्ग रामपाल इसके बाद अपने स्मार्टफोन से एक गीत निकालते हैं। गीत के बोल हैं- 'ओ चरण सिंह भारत में, तू लेले जनम दोबारा/ हिलकी भर-भर के रोवे, मजबूर किसान बेचारा।' लोकगीत की शैली में गाए इस गाने में चरण सिंह को किसी अवतारी पुरुष की तरह दिखाया गया है। रामपाल कहते हैं कि चरण सिंह किसान और मजदूरों के प्रिय थे। किसान में 36 कौम हैं और मजदूर में 36 कौम हैं। वह कहते थे कि उन्नति का रास्ता खेतो-खलिहानों से होकर जाता है। ऐसे-ऐसे काम किए हैं, कि एक बार पटवारियों ने हड़ताल कर दी। इसके बाद चरण सिंह ने नए पटवारियों की भर्ती कर ली। उनका मानना था कि अगर हर विभाग ऐसे ही हड़ताल करेगा तो काम कैसे होगा? इसके बाद से चौधरी साहब के कार्यकाल में किसी ने हड़ताल नहीं की। रामपाल ने बताया कि चौधरी साहब सफेद कुर्ता, धोती और टोपी पहनते थे। पहली दफा लाल किले पर झंडारोहण करने गए तो उनसे पीए ने पूछा कि इसी ड्रेस में झंडारोहण करने चलोगे? इस पर चौधरी साहब ने कहा कि बिल्कुल। आज पूरा देश देखेगा कि किसान-मजदूर का बेटा लाल किले पर झंडा बांधेगा।
Source navbharattimes

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