नई दिल्लीः दिल्ली के बाद आम आदमी पार्टी (आप) ने बड़ी जीत हासिल करके पंजाब में इतिहास रच दिया है। यह जीत इस मायने में खास है, क्योंकि हाल के वर्षों में आप ऐसी पहली क्षेत्रीय पार्टी बन गई है, जिसकी दो राज्यों में एकसाथ सरकार होगी। पंजाब की जीत का आप के लिए इसलिए भी महत्व है, क्योंकि उसके लिए यह ऐसा राज्य होगा जहां उसके पास पूरे अधिकार होंगे। अब तक दिल्ली में उसकी 7 साल से सरकार है, लेकिन चूंकि दिल्ली केंद्र शासित क्षेत्र है, इसलिए यहां उनके पास न पुलिस और न ही जमीन से जुड़ मामलों के अधिकार हैं। दिल्ली मॉडल को मिली जीतपंजाब में आप की जीत का सबसे बड़ा क्रेडिट केजरीवाल के दिल्ली मॉडल को ही माना जाएगा। दिल्ली में जिस तरह से कैश बेनिफिट ट्रांसफर का इस्तेमाल किया गया, उसका जादू दिल्ली के बाद पंजाब में भी वोटरों के सिर चढ़कर बोलता नजर आया। दरअसल, आप ने दिल्ली में लोगों की नब्ज को पकड़ा और सीधे उन्हें वे फायदे दिए, जिनका असर उनकी जेब पर भी होता है। पानी, बिजली और महिलाओं को बसों में मुफ्त यात्रा ही नहीं बल्कि गरीब लोगों तक पहुंचने वाला राशन और तमाम ऐसी योजनाएं हैं, जिनके लाभान्वित होने वाले लोग आप के इस मॉडल के मुरीद हैं। आगे की क्या है तैयारी? दिल्ली के बाद पंजाब में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद अब जाहिर है कि आम आदमी पार्टी अपना और विस्तार करने की कोशिश करेगी। गोवा, उत्तराखंड और यूपी में तो पहले ही चुनाव मैदान में उतर चुकी है लेकिन अब वह पंजाब के जादू को गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी भुनाने की तैयारी करेगी। दरअसल, गुजरात और हिमाचल प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां जल्द ही चुनाव होने वाले हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि अरविंद केजरीवाल चाहेंगे कि दिल्ली की तरह ही पंजाब में लागू होने वाले उनके 'दिल्ली मॉडल' की चर्चा राष्ट्रीय स्तर पर हो ताकि गुजरात और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों के वोटरों तक भी उन सुविधाओं की जानकारी पहुंचे, जो दिल्ली में दी जा रही हैं। पार्टी नेताओं का तो यहां तक कहना है कि अगर इसी तरह लोगों का उसे समर्थन मिलता रहा तो आप यूपी के बाद सिर्फ गुजरात तक ही सीमित नहीं रहेगी बल्कि वह दक्षिण की ओर भी कदम बढ़ाएगी। इसकी वजह यह है कि कर्नाटक जैसे राज्य, जहां लगातार चुनावी उठापटक चलती रही है, वहां भी पार्टी अपनी जमीन खंगालने की कोशिश करेगी। कांग्रेस के लिए होगी मुश्किल? पंजाब की जीत के बाद आप का मनोबल जितना बढ़ा है, उससे सबसे ज्यादा खतरा कांग्रेस को ही है। दिल्ली में भी आप ने सबसे ज्यादा चोट कांग्रेस को ही पहुंचाई। सिर्फ वोट बैंक ही नहीं बल्कि कांग्रेस के संगठन को भी कमजोर किया है। आप का पहला निशाना कांग्रेस ही है, क्योंकि फिलहाल आप जिस विचारधारा पर चल रही है, वह कांग्रेस से मिलती जुलती है। अभी आप को जो वोट मिल रहा है, उसमें एक बड़ा हिस्सा वही है जो कांग्रेस का वोटर माना जाता रहा है। ऐसे में जहां भी कांग्रेस कमजोर होती नजर आती है, वहीं आप को लगता है कि वह उसकी जगह ले सकती है। यही वजह है कि आने वाले समय में कांग्रेस को ही आप से सबसे बड़ा खतरा है। दिल्ली और पंजाब दोनों ही जगह आप ने कांग्रेस की ही जगह ली है। चूंकि अभी कांग्रेस लगातार कमजोर नजर आती है, ऐसे में जाहिर है कि आप की निगाह उन राज्यों पर ही होगी, जहां कांग्रेस या तो सत्तारूढ़ है या फिर मुख्य विपक्षी दल और सत्ता में आने की कोशिश कर रही है। चुनौती भी और बढ़ेगी दिल्ली और पंजाब में एक साथ दो सरकारें होने पर ऐसा नहीं है कि आप के लिए सबकुछ अच्छा होगा। उसके लिए पंजाब एक चुनौती भी लेकर आएगा। दिल्ली में आप लगातार यह कहती रही है कि उसके पास सीमित अधिकार हैं इसलिए वह जनता के हित में वे काम नहीं कर पा रही जो वह करना चाहती है। पंजाब में अब उसे कुछ अलग हटकर काम करने होंगे। इसके अलावा पंजाब और दिल्ली में कई बुनियादी फर्क हैं, जिन्हें समझकर वहां सरकार चलाने की भी चुनौती होगी।
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