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संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन पर भारत के सामने आ ही गया वह धर्मसंकट, जानिए अब क्या है रास्ता

नई दिल्ली: (United Nations) में यूक्रेन संकट (Ukraine Crisis) पर भारत रूस के खिलाफ वोटिंग में लगातार अनुपस्थित रहा है। मास्को के खिलाफ लगातार तीन प्रस्तावों पर अनुपस्थित रहने के बाद भारत के सामने अब बड़ा 'धर्मसंकट' आ गया है। पूरी दुनिया में चारों तरफ से रूस को घेरने की कोशिश कर रहे अमेरिका ने नई दिल्ली से कहा है कि वह अब मास्को पर स्थिति को साफ-साफ स्पष्ट करे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत अपने दोस्त रूस पर नजरिया बदलेगा। अगर पुराने अनुभव को देखें तो भारत रूस पर फिलहाल तो कोई अलग स्टैंड नहीं लेने वाला है। इस बीच, अमेरिका के विदेश मंत्रालय ने अपने राजनयिकों को एक पुराने गोपनीय संदेश को याद दिलाया है। इस गोपनीय संदेश में अमेरिकी राज‍नयिकों को कहा गया है कि वे अपने भारतीय समकक्षों को यह सूचित करें कि यूक्रेन के मामले में उनका तटस्‍थ रहना उन्‍हें 'रूस के खेमे' में ले जा रहा है। हालांकि, बाद में अमेरिका ने इस केबल को वापस ले लिया है। ऐसे में अब भारत के सामने एक बड़ा 'धर्मसंकट' खड़ा हो गया है। रूस के खिलाफ वोटिंग से भारत अनुपस्थित रूस का यूक्रेन में हमले (Russia Invasion of Ukraine) के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अमेरिका समेत दुनिया के कई देशों ने प्रस्ताव लाए हैं। इस सभी प्रस्ताव पर वोटिंग करने से भारत बचा है और अनुपस्थित रहा है। अब अमेरिका के जो बाइडन (Joe Biden) प्रशासन ने भारत से कहा है कि वह रूस से खुद को अलग कर ले। हाल के सालों में भारत और अमेरिका के संबंध प्रगाढ़ हुए हैं लेकिन नई दिल्ली ने रूस के साथ जारी पुराने रिश्तों को खत्म नहीं किया है और पर खुलकर मास्को की आलोचना नहीं की है। भारत करीबी साझेदार, लेकिन.. दक्षिण एशिया मामलों के अमेरिकी विदेश राज्य मंत्री डोनाल्ड लू ने सीनेट सबकमिटी में कहा, 'मैं यही कह सकता हूं कि भारत हमारा अहम रणनीतिक साझेदार है और हम अपने साझेदारों की कद्र करते हैं। मुझे उम्मीद है कि रूस की हरकतों पर भारत अब सख्त रुख अपनाएगा और उससे दूरी बनाएगा।' उन्होंने कहा कि अमेरिकी अधिकारियों ने भारत के साथ बातचीत की है और रूस के खिलाफ सामूहिक जवाबदेही की बात की है। क्वॉड की बैठक में भारत-अमेरिका के बीच मतभेद? गुरुवार को क्वॉड देशों (Quad Countries) यूक्रेन संकट के मुद्दे पर भारत और अमेरिका के बीच मतभेद होने की सभी अटकलों को खारिज करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन के साथ यूक्रेन-रूस संकट पर संयुक्त बयान जारी किया। व्हाइट हाउस द्वारा जारी क्वॉड नेताओं के संयुक्त बयान में कहा गया है, ‘क्वॉड नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष और मानवीय संकट पर चर्चा की और इसके व्यापक असर का आकलन किया।’बयान के अनुसार, चारों नेता नयी मानवीय सहायता और आपदा राहत तंत्र बनाने पर राजी हो गए, जिससे यूक्रेन में संकट से निपटते हुए क्वाड को हिंद-प्रशांत में भविष्य की मानवीय चुनौतियों से निपटने और संवाद के लिए चैनल मुहैया कराने में मदद मिलेगी। क्या भारत बदलेगा रुख? हालांकि, आने वाले वक्त में भी भारत के रुख में ज्यादा बदलाव की संभावना नहीं है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अगर मानवीय सहायता और सहयोग को लेकर कोई प्रस्ताव आता है तो भारत निश्चित तौर विकल्पों पर सावधानीपूर्वक विचार करेगा। इस मुद्दे पर हो सकता है कि भारत पक्ष में वोट करे क्योंकि वह खुद ही यूक्रेन के लिए सहायता सामग्री भेज रहा है। लेकिन भारत का वोट प्रस्ताव में प्रयोग भाषा पर भी निर्भर करेगा। रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत का नजरिया साफ रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध पर भारत कई बार कह चुका है कि इस समस्या का समाधान आपसी बातचीत के जरिए हो। पीएम नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच भी इस मसले पर दो बार बातचीत हो चुकी है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में भी कहा था कि युद्ध को तत्काल रोका जाना चाहिए। भारत ने कहा कि इस विवाद का समाधान आपसी बातचीत के टेबल पर ही हो सकता है। चीन और पाकिस्तान भी रूस के साथ यूक्रेन युद्ध में चीन और पाकिस्तान भी रूस के साथ है। चीन ने तो सभी मंचों से रूस का समर्थन किया है। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में दो वीटो पावर वाले देशों के खिलाफ अमेरिका भी कुछ नहीं कर पा रहा है। चीन ने कहा था कि रूस के अपनी संप्रभुता की रक्षा करने का हक है। हालांकि, अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश रूस के घेरने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं।
Source navbharattimes

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