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LIVE: हिजाब विवाद में आज फैसले की घड़ी, कर्नाटक के स्कूल-कॉलेज बंद

बेंगलुरु : हिजाब विवाद मामले में सुनवाई पूरी कर चुकी है। कर्नाटक हाई कोर्ट की फुल बेंच इस मामले को लेकर मंगलवार (आज) अपना फैसला सुना सकती है। शिक्षण संस्थानों में हिजाब के लेकर हाई कोर्ट पहुंचे इस विवाद पर फुल बेंच ने 15 से ज्यादा दिनों तक सुनवाई की और दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद पिछले हफ्ते फैसला सुरक्षित रख लिया था। इधर मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य सरकार ने कर्नाटक के जिलों में धारा 144 लागू कर दी है। जो इलाके सबसे ज्यादा संवेदनशील हैं वहां के शिक्षण संस्थानों के बंद रखने का फैसला लिया है। दक्षिण कन्नड़ डेप्युटी कलेक्टर डॉ. राजेंद्र केवी ने कहा कि सभी स्कूल-कॉलेजों में मंगलवार को अवकाश घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि एक्सटर्नल एग्जाम शेड्यूल के मुताबिक होंगे लेकिन मंगलवार को होने वाले इंटरनल एग्जाम स्थगित कर दिए गए हैं। उडुपी के डीएम कुर्मा राव एम ने भी मंगलवार को सभी स्कूल-कॉलेज बंद करने के आदेश दिए हैं। पुलिस फोर्स की गई तैनात शिवमोगा जिले में भी स्कूल कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। यहां पर 21 मार्च तक धारा 144 लागू की गई है। एसपी बीएम लक्ष्मी प्रसाद ने बताया कि केएसआरपी की 8 कंपनियां, डिस्ट्रिक्ट आर्म्ड रिजर्व की 6 कंपनी और आरपीएफ की 6 कंपनी तैनात रहेंगी। कलबुर्गी प्रशासन ने भी धारा 144 लागू कर दिया है। उडुपी के कॉलेज से शुरू हुआ था विवाद हिजाब का विवाद उडुपी के एक कॉलेज से उठा। गवर्नमेंट प्री कॉलेज में छात्राओं को स्कूल में हिजाब पहना अलाउ था लेकिन क्लास के अंदर हिजाब बैन था। पिछले साल दिसंबर में कॉलेज की छह छात्राओं ने कक्षा के अंदर हिजाब पहनकर जाने का प्रयास किया। उन्हें रोका गया लेकिन छात्राएं अड़ गईं। उसके बाद वह कॉलेज के बाहर धरने पर बैठ गईं और उसके बाद विवाद तूल पकड़ता गया। कॉलेज के अंदर का यह प्रदर्शन अन्य जिलों और देश के अन्य राज्यों तक फैल गया। बेंच ने फैसला रख लिया था सुरक्षित कर्नाटक हाई कोर्ट ने हिजाब विवाद की सुनवाई पिछले महीने पूरी कर ली थी। इस मामले की सुनवाई पूर्ण पीठ ने की थी जिसमें मुख्य न्यायाधीश रितुराज अवस्थी, न्यायमूर्ति जेएम खाजी और न्यायमूर्ति कृष्ण एम दीक्षित शामिल हैं। सुनवाई के दौरान कर्नाटक सरकार की ओर से कोर्ट में दलील दी गई थी कि हिजाब एक आवश्यक धार्मिक परंपरा नहीं है और धार्मिक निर्देशों को शैक्षणिक संस्थानों से बाहर रखना चाहिए। हाई कोर्ट ने लगाई थी अंतरिम रोक कर्नाटक सरकार की तरफ से सॉलिसिटर प्रभुलिंग नावडगी ने कहा था कि सिर्फ आवश्यक धार्मिक परंपरा को संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत संरक्षण मिलता है जो नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म का आचरण करने की गारंटी देता है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई भी धार्मिक प्रतीक पहनकर स्‍कूल जाने पर अंतरिम रोक लगा दी है। हिजाब विवाद केस में सुनवाई के कुछ तथ्य - 25 फरवरी को, 10 फरवरी को शुरू हुई मैराथन सुनवाई के बाद, अदालत ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। - उडुपी और कुंडापुरा कॉलेजों के छात्रों ने ज्यादातर याचिकाएं दायर की हैं। दो जनहित याचिकाएं भी दाखिल की गईं। - याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि हिजाब पहनना जरूरी है और राज्य सरकार की कार्रवाई धर्म के आधार पर शत्रुतापूर्ण भेदभाव है। - याचिकाकर्ताओं ने आगे तर्क दिया कि मुस्लिम लड़कियां कम से कम शिक्षित हैं और कक्षाओं में कम प्रतिनिधित्व करती हैं और अगर उन्हें इस तरह से बंद कर दिया जाता है, तो यह उनकी शिक्षा को प्रभावित करेगा। - राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि हिजाब पहनना एक आवश्यक धार्मिक प्रथा नहीं थी। इसने यह भी कहा था कि ड्रेस कोड से संबंधित उसका 5 फरवरी, 2022 का सर्कुलर - जिसे अदालत के समक्ष चुनौती दी गई थी - याचिकाकर्ताओं के अधिकारों के साथ हस्तक्षेप नहीं करता है।
Source navbharattimes

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