भारतीय संसद के 2021 के मानसून सत्र में लोकसभा ने 18 से ज्यादा विधेयकों को औसतन 34 मिनट की चर्चा के साथ मंजूरी दे दी। पीआरएस इंडिया के आंकड़े बताते हैं कि अनिवार्य रक्षा सेवा विधेयक (2021) को लोकसभा में सिर्फ 12 मिनट की बहस के बाद मंजूरी मिल गई, जबकि दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक ( 2021) पर महज पांच मिनट बहस हुई। एक भी विधेयक को संसदीय समिति के पास नहीं भेजा गया। सभी विधेयक ध्वनिमत से पास हुए। संसद की कार्य उत्पादकता का आलम यह है कि वह इस साल के हालिया सत्र में 129 फीसद आंकी गई लेकिन बहस की संसदीय परंपरा इस दौरान तकरीबन समाप्त हो गई। क्या संसद महज डाकघर बनकर रह गई है? Source navbharattimes
0 टिप्पणियाँ