उदयपुर में हुआ कांग्रेस का चिंतन-शिविर और राहुल गांधी की लंदन-यात्रा- दोनों घटनाएं ऐसी हुई हैं, जिनसे कांग्रेस के उज्ज्वल भविष्य की उम्मीद जगना आसान नहीं लग रहा है। वैसे चिंतन-शिविर, यह नाम अपने आप में बहुत आशा जगा देता है। उम्मीद की जा रही थी कि कांग्रेस के नेता इस शिविर में इस मुद्दे पर विचार करेंगे कि पार्टी दिनोंदिन कमजोर क्यों होती जा रही है? उसके नामी-गिरामी नेता और कई कार्यकर्ता दूसरी पार्टियों की तरफ क्यों लपक रहे हैं? उसके कारण क्या हैं और उन कारणों का निवारण कैसे किया जाए? चिंतन-शिविर तो पूरा हो गया, लेकिन क्या कांग्रेस की चिंता दूर हुई? Source navbharattimes
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