आर्थिक विकास और सामाजिक समरसता- ये दोनों बड़े मुद्दे हैं। अवसरों के बिना विकास नहीं होता और विकास के बिना समता नहीं आती। इसके आगे का शब्द है समरसता- सब में आत्मीय भाव हो, कोई ऊंचा-नीचा न रहे, भेदभाव न रहे, सब साथ चलें। संघ की लगभग यही विचारधारा है। सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने हाल के अपने वक्तव्यों में इसी बात को अधिक विस्तार दिया है। Source navbharattimes
0 टिप्पणियाँ