दशकों से चेतावनी दी जा रही थी कि जोशीमठ एक दिन धंस जाएगा। इन चेतावनियों पर ध्यान दिया गया होता तो अंधाधुंध तरीके से पेड़ों की कटाई और पहाड़ों पर भारी निर्माण नहीं होते। सवाल है कि आगे क्या रास्ता है? जानकार कहते हैं, सरकारी तंत्र को कागज काले करने के बजाय गंभीरता से काम करना होगा। Source navbharattimes
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