जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना काफी दुखद और गंभीर है। इसने कई परिवारों को न केवल बेघर कर दिया, बल्कि उनके मन में आसपास हो रहे विकास कार्यों को लेकर यह संदेह भी उत्पन्न कर दिया है कि आखिर वे कितने सुरक्षित हैं। हमें याद रखना चाहिए कि जोशीमठ अकेला शहर नहीं है जिसने इस त्रासदी को झेला है। जैसे-जैसे प्रकृति के साथ मानव संपर्क में वृद्धि हुई है, जमीन से भी छेड़छाड़ हुई है। इसके परिणामस्वरूप भूस्खलन, चट्टान आदि गिरने जैसी घटनाएं खूब होती हैं। वजह प्राकृतिक हो या मानव निर्मित, यह मानव जीवन, संपत्ति और बुनियादी ढांचे को खतरे में डालती हैं। Source navbharattimes
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