DIGITELNEWS पर पढ़ें हिंदी समाचार देश और दुनिया से,जाने व्यापार,बॉलीवुड समाचार ,खेल,टेक खबरेंऔर राजनीति के हर अपडेट

 

Opinion: नई संसद तैयार है, नोएडा वालों को चिढ़ा रहा पर्थला फ्लाईओवर

नई दिल्ली: इस समय देश में सबसे ज्यादा चर्चा अगर किसी चीज की हो रही है तो वह संसद भवन की नई इमारत है। 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन की आधारशिला रखी थी। बड़ा आयोजन हुआ था। तब की अखबारों की कतरन भले न मिले पर गूगल करने पर आपको खबरें मिल जाएंगी कि नई संसद के अक्टूबर 2022 तक पूरा होने की उम्मीद जताई गई थी। ठीक है, कोरोना के कारण थोड़ी देरी हुई और 7 महीने देरी से ही सही 28 मई को वह दिन आ गया जब देश को नई संसद मिलने वाली है। माननीय बैठेंगे, ज्यादा बैठेंगे क्योंकि नई संसद की जरूरत बताते हुए सरकार ने समझाया था कि पुरानी संसद में सीटें नहीं बढ़ा सकते। पुरानी तकनीक है, भूकंप का भी अलग टेंशन हैं। ऐसे कई कारण गिनाए गए थे। गर्व हम सबको होना चाहिए कि नई संसद मिल रही है। हालांकि मेरी तरह बहुत से लोग हैं जिनका रोज संसद आना जाना नहीं होगा। वे अपनी सुविधाओं को देखते हैं तो निराश होते हैं। हमें तो ऑटो के हिचकोलों से मुक्ति चाहिए। नोएडा के पर्थला फ्लाईओवर का काम देखते-देखते थक चुके हैं। आपको याद होगा कि नोएडा अथॉरिटी ने भी संसद का काम शुरू होने के ठीक बाद 24 दिसंबर 2020 को इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था। मुझ जैसे हजारों लोगों को ग्रेटर नोएडा वेस्ट (नोएडा एक्सटेंशन) से रोज ऑफिस आना जाना होता है। मेरे लिए तो पर्थला फ्लाईओवर ही सबसे बड़ा और उपयोगी प्रोजेक्ट है। हो सकता है कि आपको लगे कि संसद और पर्थला फ्लाईओवर की क्या तुलना है? इमारत या ढांचे में न सही फुर्ती की बात तो कर रही सकते हैं। संसद निर्माण कितना जरूरी था, कितने लोगों ने कैसे दिन रात एक करके इसे ढाई साल से भी कम समय में उद्घाटन के लिए तैयार कर दिया, आप समझ सकते हैं। लेकिन पर्थला का क्या? आपको जानकर ताज्जुब होगा कि 64,500 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनी नई संसद की इमारत इतने कम वक्त में तैयार हो जाती है लेकिन मात्र 800 मीटर लंबा फ्लाईओवर अभी तक शुरू नहीं हो सका है। इसकी जरूरत कितनी है, ऐसे समझिए कि पर्थला चौक के रास्ते से रोज करीब 1.25 लाख लोग गुजरते हैं। Source navbharattimes

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ